
आचार्य विनोद कुमार मिश्र, प्राचार्य — श्री शिव प्रसाद संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ।26 जून 2025, गुरुवार से गुप्त नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है। यह विशेष नवरात्रि पर्व आषाढ़ मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है, और इस वर्ष यह 4 जुलाई शुक्रवार तक चलेगा। नवरात्र का यह रूप उतना प्रचारित नहीं होता जितना शारदीय या वासंतिक नवरात्रि, परंतु तांत्रिक साधना, गुप्त सिद्धि, और आत्मिक जागरण के लिए इसे अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
🌸 पंचांग अनुसार दिन विशेष
तिथि: शुक्ल प्रतिपदा (दोपहर 2:21 तक), तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र: आर्द्रा (प्रातः 10:11 तक), तत्पश्चात पुनर्वसु
योग: ध्रुव (रात्रि 2:06 तक), तत्पश्चात व्याघात
सूर्योदय: 5:13 प्रातः
सूर्यास्त: 6:47 सायं
राहुकाल: 1:30 बजे से 3:00 बजे तक
दिशा शूल: दक्षिण दिशा (इस दिशा में यात्रा वर्जित)
विशेष व्रत: गुप्त नवरात्र प्रारंभ
निषेध: प्रतिपदा को कूष्मांडा (पेठा) खाना वर्जित है
🌺 गुप्त नवरात्र: साधना और सिद्धि का रहस्यमय पर्व
शास्त्रों में वर्णित है कि यह नौ दिन देवी शक्ति की गुप्त उपासना, तंत्र विद्या की सिद्धि और आत्मशुद्धि के लिए सर्वोत्तम हैं। इन नौ रातों में देवी के विभिन्न स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है, जिनसे साधक की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
गुप्त नवरात्र में की गई उपासना सामान्य नवरात्र की तुलना में शीघ्र फलदायी होती है। धन, संतान, विवाह, आरोग्य, नौकरी, अधिकार, यश और सिद्धि से संबंधित अनेक साधनाएं इन दिनों में की जाती हैं।
🌿 हर तिथि का विशेष भोग और उसका लाभ
तिथि भोग सामग्री लाभ
प्रतिपदा घी रोगों से मुक्ति, आरोग्यता
द्वितीया शक्कर दीर्घायु
तृतीया दूध समस्त दुःखों से मुक्ति
चतुर्थी मालपुआ संकटों का निवारण
पंचमी केला पारिवारिक सुख व शांति
षष्ठी शहद धन-लाभ
सप्तमी गुड़ मनोकामना पूर्ति
अष्टमी नारियल सुख-समृद्धि
नवमी विविध अनाज यश, ऐश्वर्य और वैभव
💰 विशेष उपाय: गुप्त नवरात्र में सिद्ध होने वाले प्रयोग
- धन लाभ का उपाय
गुप्त नवरात्र के किसी भी दिन प्रातः स्नान के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने 9 तेल के दीपक जलाएं और लाल चावल की ढेरी बनाकर उस पर श्रीयंत्र स्थापित करें। पुष्प, धूप, दीप व कुमकुम से पूजन कर श्रीयंत्र को पूजा स्थल में स्थापित करें। शेष सामग्री को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय आर्थिक कष्टों को दूर कर सकता है और आकस्मिक धनलाभ के योग बनते हैं।
- शीघ्र विवाह हेतु मंत्र साधना
पूजा कक्ष में शिव-पार्वती का चित्र स्थापित करें और 3, 5 या 10 माला नीचे दिए गए मंत्र का जप करें:
मंत्र:
“ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंसनाय,
पुरुषार्थ चतुष्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।”
- मनचाहा वर या वधु पाने का उपाय
किसी नजदीकी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती पर जल व दूध अर्पित करें। फिर पंचोपचार पूजन करके नीचे दिए मंत्र का 108 बार जप करें:
मंत्र:
“हे गौरी शंकरार्धांगी यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।”
इस मंत्र का तीन महीने तक नियमित जप, शिव मंदिर या घर के पूजाकक्ष में करना चाहिए। साथ ही, पंचोपचार पूजन भी प्रतिदिन करें।
🕉️ धार्मिक अनुशासन और वैज्ञानिक संदेश
गुप्त नवरात्र के नियम केवल आस्था या तांत्रिक साधना तक सीमित नहीं हैं। यह काल आंतरिक अनुशासन, सकारात्मक ऊर्जा के जागरण और जीवन की स्थिरता का प्रतीक है। यह पर्व व्यक्ति को भय से विश्वास, असमर्थता से संकल्प और अंधकार से आलोक की ओर ले जाता है।
जो लोग इस अवधि का सदुपयोग श्रद्धा, संयम और साधना से करते हैं, उनके जीवन में स्थायी शांति, मानसिक संतुलन और लौकिक लाभ सहजता से प्राप्त होते हैं।