कागजों पर गौशालाएं,सड़क पर मृत अवस्था में गायें

 धनञ्जय पाण्डेय/दैनिक इंडिया न्यूज़

मधुबन,मऊ । गौ पालन के नाम पर दुकानदारी चल रही है। बड़ी संख्या में गौ शालाएं कागजों पर चल रही हैं और गौ-वंशीय पशु सड़कों पर बेसहारा भटक रहे हैं। जो आए दिन हादसों की वजह बन रहे हैें और खुद भी हादसों में मारे जा रहे हैं। उसी क्रम में दरगाह में संचालित अस्थाई गो आश्रय स्थल की स्थिति देखने को मिल रही है। पिछले दिनों दैनिक इंडिया की टीम ने मौके पर पहुंच अस्थाई गो आश्रय स्थल की बदहाली को प्रमुखता के साथ खबर में प्रकाशित भी करने का काम किया था । मगर उसके बाद भी जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। यही वजह है कि गोवंश तिल तिल कर जीते हैं,और तड़प तड़प कर मर रहे हैं। गौशाला में समूचित व्यवस्था न होने से सड़कों पर कुछ देर उन्हें ठौर मिलता है, लेकिन सड़क दुर्घटना में कब हमेशा के लिए बैठ जाएं या जान चली जाए इस बात का डर हर पल बना रहता है। गौ-वंशीय पशुओं की ऐसी दुर्दशा पर जिम्मेदार मौन हैं, वहीं गौ-सेवक अपनी मजबूरियां गिनाकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं। समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, लेकिन राहत दिलाने की ओर किसी का ध्यान नहीं है। पुराने समय से दो वक्त के दाना-पानी के बदले दूध देने और मरने के बाद शरीर के चमड़े से कई लोगों का रोजगार चलाने वाली गाय, सड़कों पर मारी-मारी इसलिए फिर रही हैं, क्योकि उनके रहने-खाने का इंतजाम इंसान ने छीन लिया। गाय सड़कों पर आ गईं, बस यहीं से गाय सड़क दुर्घटना की वजह और शिकार बनने लगी हैं। शहर हो या गांव, सभी जगह गौ-वंश की दुर्दशा हो रही है। भूख-प्यास से बिलखते ये बेजुबान अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बोल भी नहीं पाते, सड़क पर आवारा घूम रही किसी भी गाय की आंखों, शरीर के जर्जर ढांचे को देखने से ही महसूस हो जाता है, कि इन आंखों से बह रहे आंसूओं की वजह क्या है, कितनी तकतीफ में गुजरता है इनका हर दिन। वही दैनिक इंडिया की टीम ने दोहरीघाट खंड विकास अधिकारी से दूरभाष के माध्यम से समस्या की जानकारी जानना चाहा तो फ़ोन बंद आया।

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