
पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप, प्रदेश सरकार से परिवार व भूमि की सुरक्षा की मांग
दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ। राजधानी लखनऊ में पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद का एक गंभीर मामला सामने आया है। इंदिरानगर क्षेत्र की रहने वाली मोनिका पाल ने आरोप लगाया है कि कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें उनकी पैतृक संपत्ति में 185 वर्ग फीट का हिस्सा मिला है, लेकिन अपने हिस्से तक पहुँचने का रास्ता न होने के कारण वे निर्माण कार्य नहीं करा पा रही हैं।
मोनिका पाल का कहना है कि जब भी वे अपने हिस्से में निर्माण कार्य शुरू करती हैं, स्थानीय लोग 112 नंबर डायल कर पुलिस बुला लेते हैं और पुलिस मौके पर पहुँचकर उनका काम रुकवा देती है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर उनकी वैध संपत्ति में निर्माण करने का अधिकार क्यों छीना जा रहा है और बार-बार पुलिस क्यों हस्तक्षेप कर रही है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि न केवल उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, बल्कि उनकी भूमि की भी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार उठाए।
मोनिका पाल ने भावुक अपील करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से देशभर की बेटियों का हौसला बढ़ाते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर लखनऊ में स्थानीय पुलिस एक बेटी को उसके वैध हक से वंचित कर रही है। क्या प्रधानमंत्री के विज़न को स्थानीय पुलिस पलीता नहीं लगा रही? आखिर महिला सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी कौन लेगा – सरकार, प्रशासन या पुलिस?”
👉 यह मामला न सिर्फ व्यक्तिगत संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि जब एक बेटी को उसके अपने घर पर हक नहीं मिल पा रहा, तो महिला सुरक्षा और न्याय के दावे कितने मजबूत हैं?