ब्यूरो डीडी इंडिया
योगी सरकार के राज में क्या अधिकारी बेलगाम हो गये हैं. क्या वे बीजेपी के विधायकों, सांसदों और जनप्रतिनिधियों की बात तक नहीं सुनते हैं. ये सवाल इसलिए क्योंकि ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसमें बीजेपी के विधायक और सांसद अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवाल उठाते नजर आये हैं। प्रतापगढ़ के भाजपा विधायक धीरज ओझा के प्रकरण के बाद ये मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है।
ऐसी ही घटना प्रदेश की राजधानी लखनऊ से है एक निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक पत्रकार ने एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद बीजेपी के कुछ जनप्रतिनिधियों से बात की RSS के प्रचारकों से सिफारिश की लेखपाल को भी फ़ोन लगाया लेखपाल ने बोला मेरा जब मन होगा तब बनायेंगे नही होगा तो नही बनायेंगे।
एस डी एम साहब से भी सिफारिश किया फिर भी कुछ नही हुआ, लेकिन जब पत्रकार ने दलाल के द्वारा पैसा भेजवाया तब पांच मिनट में निवास प्रमाण पत्र अपलोड हो गया। इतना ही नही एक ही पते के दो बच्चों का जिनके माता पिता भी एक हैं ।एक ही दिन आवेदन किया गया जिस बच्चे के निवास प्रमाण पत्र का घूस लेखपाल को मिला उसका तो बन गया जिसका नही मिला उसका नही बन पाया।
यही है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार का राम राज्य।