राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृ भाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही:मुख्यमंत्री

काशी और भारत की परम्परा विद्या से जुड़ी रही है: मुख्यमंत्री

हरिंद्र सिंह/दैनिक इंडिया न्यूज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि काशी और भारत की परम्परा विद्या से जुड़ी रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की उस वैदिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करती है, जो उद्घोष करती है ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’। ज्ञान को सभी दिशाओं से आने के लिए हमें द्वार खुले रखने चाहिए। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने देश की आजादी के बाद पहली बार ज्ञान के सभी दिशाओं से आने के द्वार खोले हैं। प्राचीन विद्या की नगरी काशी में पं0 मदन मोहन मालवीय जी ने प्राचीन और अर्वाचीन शिक्षा के एक केन्द्र के रूप में सन् 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उन्होंने काशी में देश भर के शिक्षाविदों के इस शिक्षा महासमागम के आयोजन के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर व्यापक मंथन के लिए उपस्थित होने के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी प्राचीनकाल से ही भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की प्रतीक रही है। यह विद्या की नगरी है। जब पूरी दुनिया इस सदी की सबसे बड़ी महामारी के सामने असमंजस की स्थिति में थी, तब भारत में जीवन और जीविका बचाने के साथ ही, नए भारत की परिकल्पना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश, अपनी वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए रख रहा था। यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश भर के सभी शिक्षाविद, इसे लागू करने और इसकी भावी योजनाओं पर व्यापक मंथन करने के लिए काशी की इस धरती पर उपस्थित हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मंथन की इस परम्परा से कोई अमृत जरूर निकलेगा। इसके लिए प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहले से ही आधार प्रस्तुत कर चुकी है। उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को स्नातक स्तर पर लागू कर चुका है। प्रदेश के सभी 30 शासकीय और 35 निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में भी इसे लागू करने के साथ ही, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा और अन्य सभी क्षेत्रों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने का कार्य उत्तर प्रदेश में किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा शिक्षा केन्द्रों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप नवाचार और शोध के लिए अपने को तैयार करना चाहिए। शासन की योजनाओं से जुड़ते हुए छात्र-छात्राओं को उन योजनाओं की प्रारम्भ से ही जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे जब वह अपनी डिग्री लेकर बाहर निकले, तो उसके सामने अपने जीवन की अनन्त सम्भावनाओं के द्वार स्वतः खुले हुए दिखायी दें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बात की प्रेरणा तो दे ही रही है, शिक्षाविदों के सहयोग से इसे मजबूती के साथ लागू करने में और मदद प्राप्त हो सकती है।

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