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दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ, 7 जुलाई 2024: लखनऊ इस्कॉन मंदिर के प्रमुख अपरिमेय श्याम दास जी के नेतृत्व में चारबाग स्थित रविंद्रालय से भगवान जगन्नाथ की दिव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया। पूजा अर्चना और आरती के बाद रात में इस विशाल और भारी रथ को खींचने की शुरुआत हुई। श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्हें रथ खींचने में ताकत लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, क्योंकि रथ मानो अपने आप ही भाग रहा था। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देने के लिए कुदरत पर सवार होकर अपने भक्तों के बीच आते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं।
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रथ यात्रा की शुरुआत रविंद्रालय से हुई और यात्रा डीएम कार्यालय तक जाकर संपन्न हुई। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दिव्य रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक था, बल्कि सामाजिक संदेशों को भी प्रेषित करता था।
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राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह अपने कार्यकर्ताओं के साथ भगवान जगन्नाथ प्रभु का पूजन अर्चन और दर्शन करने के पश्चात रथ यात्रा में शामिल हुए। उन्होंने भगवान जगन्नाथ के रथ के आगे झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “भगवान जगन्नाथ के रथ के आगे झाड़ू लगाना एक महान सेवा है और इसके माध्यम से हम सभी को स्वच्छता का महत्व समझाना चाहते हैं।”
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रथ यात्रा में सम्मिलित होकर उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया और इस महान कार्य के लिए समस्त आयोजन से जुड़े हुए लोगों को शुभकामनाएं प्रेषित की। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रबल किया, बल्कि समाज को स्वच्छता और एकता का संदेश भी दिया।
रथ यात्रा के दौरान अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने भक्ति गीतों और नृत्य के माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट की। यात्रा के मार्ग पर भव्य सजावट की गई थी और जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की कहानी भी इस यात्रा के महत्त्व को बढ़ाती है। कहते हैं कि जब भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं, तो उनका रथ स्वयं ही खिंचता है, जैसे कि भगवान स्वयं अपनी शक्ति से अपने भक्तों के पास पहुँच रहे हों। यह अद्भुत अनुभव श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल स्मृति बन जाता है।
लखनऊ में आयोजित इस रथ यात्रा ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भगवान जगन्नाथ की कृपा और उनके भक्तों की श्रद्धा अटूट है। इस धार्मिक आयोजन ने सभी को एक साथ जोड़कर एकता और प्रेम का संदेश दिया।