हरिंद्र सिंह दैनिक इंडिया न्यूज़ 28 जुलाई 2024 लखनऊ ।विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के पावन अवसर पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र प्रताप सिंह ने संपूर्ण जगत के नेताओं, अभिनेताओं, अधिकारियों, समाजसेवियों, साधु-संतों और आम जनता से अपील की है कि वे इस दिन से एक नया संकल्प लें। उन्होंने सभी से आग्रह किया है कि हम सभी मिलकर अधिक से अधिक पौधारोपण करें और उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में आने वाली विपत्तियों से विश्व को बचाया जा सके।
श्री सिंह ने कहा, “हमारा पर्यावरण गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से हमारा ग्रह खतरे में है। ऐसे में पौधों और वृक्षों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। पौधे न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि वे जलवायु को नियंत्रित करने, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और जैव विविधता को संजोने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
उन्होंने सभी समाज के विभिन्न वर्गों से अपील की कि वे इस दिशा में अपना योगदान दें। “नेता, अभिनेता, अधिकारी, समाजसेवी, साधु-संत – सभी की भूमिका इस महत्वपूर्ण कार्य में अहम है। हमें मिलकर पौधारोपण के महत्व को समझाना होगा और लोगों को इसके लिए प्रेरित करना होगा।”
श्री सिंह ने आगे कहा कि राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने पहले ही देशभर में कई वृक्षारोपण अभियानों की शुरुआत की है। “हमारे संगठन ने लाखों वृक्ष लगाए हैं और हमें गर्व है कि हम इस दिशा में अपना योगदान दे रहे हैं। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमें और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।”
इसके साथ ही, श्री सिंह ने सरकार से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि राष्ट्रीय सनातन महासंघ सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पौध संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है। “हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वे इस महत्वपूर्ण कार्य में हमारा साथ दें। हम मिलकर पौधारोपण और उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं।”
श्री सिंह ने यह भी कहा कि वे भारत सरकार और प्रदेश सरकार के आला कमान और मंत्रियों से मिलकर पौध संरक्षण हेतु विस्तृत वार्ता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। “हम इस विषय पर सरकार से सहयोग की आशा रखते हैं और इस दिशा में सार्थक संवाद करने के लिए तैयार हैं।”
पौध संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए श्री सिंह ने यजुर्वेद का एक श्लोक उद्धृत किया:
वृक्षाणां रोपणं कुर्यात्, जलदानं तथैव च।
वनं छेत्तुं न कुर्वीत, काष्ठं वा फलसंहितम्॥
अर्थात्, “वृक्षों का रोपण करो, और जल की आपूर्ति करो। जंगलों को नष्ट न करें, चाहे वे फलदार हों या न हों।”
उन्होंने कहा कि पौधारोपण केवल एक प्रारंभिक कदम है। “पौधे लगाने के बाद उनका संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना परिवार में शिशु जन्म के बाद शिशु का पालन पोषण ,पठन-पाठन जरूरी है उतना ही पौध संरक्षण जरूरी है हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लगाए गए पौधे जीवित रहें और बड़े होकर पर्यावरण को लाभान्वित करें। इसके लिए उचित जल, खाद और देखभाल की जरूरत होती है।”
श्री सिंह ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के इस अवसर पर सभी से अनुरोध किया कि वे इस मिशन में शामिल हों। “आइए, हम सभी मिलकर पौधारोपण करें और उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं। यह केवल एक दिन का काम नहीं है, बल्कि इसे हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। हमें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और उसे निभाना होगा।”
अंत में, उन्होंने कहा, “विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के इस पावन अवसर पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाएंगे और उनका संरक्षण करेंगे। यही हमारे आने वाले पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।”