“संस्कारवान पीढ़ी ही सशक्त राष्ट्र का आधार” – वशिष्ठ

बाल संस्कारशाला प्रीतीनगर में हुआ दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन

गायत्री परिवार द्वारा संचालित कार्यक्रमों से जुड़ने की अपील, पुंसवन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया

लखनऊ, 19 मई 2025 – अखिल विश्व गायत्री परिवार के शत-सूत्रीय कार्यक्रमों के अंतर्गत गायत्री प्रज्ञा मंडल प्रीतीनगर द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का सफल समापन वशिष्ठ बाल संस्कारशाला, प्रीतीनगर में सम्पन्न हुआ।

कार्यशाला के द्वितीय दिवस की शुरुआत अयोध्या जोन समन्वयक श्री देशबंधु तिवारी, मुख्य वक्ता मध्य प्रदेश से पधारी श्रीमती लेखा चौहान, तथा महर्षि प्रज्ञा मंडल लखनऊ से पधारे श्रद्धेय परिजनों – श्रीमती मीरा तिवारी, श्रीमती प्रतिभा सिंह, श्री अशोक चौहान, श्री सुभाष तिवारी एवं बहन श्वेता जी – के सम्मान एवं स्वागत के साथ हुई।

इस अवसर पर “आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी” विषय पर आधारित प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया।
विशिष्ट अतिथि श्री देशबंधु तिवारी ने दीप प्रज्वलन एवं देवावाहन के उपरांत क्षेत्रवासियों से आह्वान किया कि वे गायत्री परिवार द्वारा संचालित “माँ की पाठशाला”, “बाल संस्कारशाला” एवं “संस्कारवान पीढ़ी निर्माण” जैसे जीवन-परिवर्तनकारी अभियानों से जुड़ें।

मुख्य वक्ता श्रीमती लेखा चौहान ने उपस्थित बहनों को पुंसवन संस्कार की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि, विधि तथा महत्व के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि यह न केवल धार्मिक, अपितु मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक रूप से भी मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। गर्भवती महिलाओं को यह संस्कार अवश्य कराना चाहिए – जिससे आने वाली पीढ़ी में श्रेष्ठता का बीजारोपण हो सके।

बाल संस्कारशाला के आचार्य श्री इंद्रेश कुमार मिश्रा ने सभी अभिभावकों से निवेदन किया कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से बाल संस्कारशाला भेजें ताकि उनमें बचपन से ही सद्गुण, नैतिकता और संस्कृति के संस्कार विकसित हो सकें। उन्होंने सभी उपस्थित अतिथियों एवं क्षेत्रवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

गायत्री महिला मंडल, प्रीतीनगर की प्रमुख श्रीमती निशा श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी साधकों को सत्संकल्पों के पालन हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम का समापन बहन श्वेताम्बरा द्वारा कराए गए शांतिपाठ के साथ हुआ।

इस अवसर पर गायत्री प्रज्ञा मंडल, महिला मंडल, वशिष्ठ बाल संस्कारशाला, महर्षि प्रज्ञा मंडल लखनऊ एवं प्रीतीनगर के समस्त क्षेत्रवासियों का सहयोग विशेष रूप से सराहनीय रहा।

यह कार्यशाला एक सशक्त, संस्कारित और जागरूक समाज निर्माण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध हुई।

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