अपनों ने ही अपने को लूटने का बुना ताना-बाना, अनुप्रिया पटेल का योगी सरकार पर हमला

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ ।हाल ही में अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने में विफल रहे हैं। अनुप्रिया पटेल की यह बयानबाजी न केवल विवादास्पद है, बल्कि भाजपा और एनडीए गठबंधन के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।

अनुप्रिया पटेल ने अपनी चिट्ठी में यह दावा किया है कि योगी सरकार इन वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति जारी रहती है तो भाजपा को आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ा नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण इन समुदायों के युवाओं को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विवाद का तुरंत जवाब दिया और स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने एक पांच-सदस्यीय आयोग का गठन किया है, जिसमें सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राम अवतार सिंह को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह आयोग ओबीसी आरक्षण के लिए आवश्यक सर्वेक्षण करेगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा इन वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए हैं और आगे भी उठाएगी।

अनुप्रिया पटेल की यह बयानबाजी राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी, उनकी गलत बयानबाजी के चलते भाजपा को कई सीटों का नुकसान हुआ था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अनुप्रिया पटेल की यह आलोचना पार्टी के आंतरिक कलह का परिणाम हो सकती है या वे किसी विपक्षी दल के इशारे पर ऐसा कर रही हैं।

विपक्ष ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि “कमजोर वर्गों के अधिकार छीने जा रहे हैं,” जबकि बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने भाजपा पर ‘आरक्षण विरोधी मानसिकता’ का आरोप लगाया। इन बयानों ने योगी आदित्यनाथ सरकार को और भी दबाव में डाल दिया है।

अनुप्रिया पटेल की बयानबाजी से भाजपा को नुकसान हो सकता है। यदि आगामी चुनावों से पहले इस तरह की बयानबाजी जारी रही, तो पार्टी की छवि और सीटों पर गहरा असर पड़ सकता है। भाजपा को अपने आंतरिक विवादों को सुलझाने और एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत करने की आवश्यकता है ताकि आगामी चुनावों में सफलता प्राप्त की जा सके। इस स्थिति में, अनुप्रिया पटेल की बयानबाजी को नियंत्रित करना भाजपा के लिए अत्यावश्यक है ताकि पार्टी की एकता और चुनावी संभावनाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

योगी आदित्यनाथ सरकार को अब इस मुद्दे पर त्वरित और सटीक रणनीति बनानी होगी ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या विवाद से बचा जा सके और पार्टी की छवि को नुकसान न पहुंचे।

अनुप्रिया पटेल की चिट्ठी का मुख्य बिंदु यह था कि “उत्तर प्रदेश सरकार ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण की अनदेखी कर रही है। यह सरकार केवल दिखावटी कदम उठा रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। अगर इसी तरह की नीतियां जारी रहीं, तो भाजपा को आगामी लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “उत्तर प्रदेश के लाखों युवाओं को रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा रहा है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है।”

केंद्र सरकार को यूं कहलें मोदी सरकार को कवर करने वाले न्यूज वेबसाइटों ने अनुप्रिया पटेल की खबर को प्रमुखता से स्थान दिया है। पिछली बार जब उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब भी उनकी बयानबाजी ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया था। इस बार भी उनकी टिप्पणियों ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। आगामी चुनावों से पहले, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस मुद्दे को कैसे संभालती है और किस प्रकार से अपने आंतरिक मतभेदों को सुलझाती है।

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