सूर्यपाल गंगवार ने किया संस्कृत भारती के प्रयासों को सराहा,
संस्कृत भाषा में है ज्ञान और संस्कृति का अद्भुत समावेश-डी एम
विश्व संस्कृत दिवस पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं – जितेंद्र प्रताप सिंह
दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ। (World Sanskrit Day 2024) – विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर संस्कृत भारती न्यास, शब्द प्रांत के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने समस्त भारत वासियों को बधाई दी। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा, “संस्कृत भाषा हमारी धरोहर है, इसे पहचानें और जीवन में अपनाएं । उन्होंने कहा संस्कृत केवल भाषा नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और ज्ञान का अमूल्य हिस्सा है। संस्कृत की महत्ता को पुनः जागरूक करना और इसे नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाना संस्कृत दिवस का उद्देश्य है। इस अवसर पर लखनऊ के डीएम सूर्यपाल गंगवार ने संस्कृत भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत भारती के द्वारा संस्कृत विस्तार हेतु किये जा रहे प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा, “आईआईटी रुड़की से बीटेक करते समय वहां संस्कृत के श्लोकों और सिद्धांतों ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। आईआईटी रुड़की के दीवार पर लिखा ‘श्रमम् विना न किमपि साध्यम् श्रमः।’ जैसे कोट्स हमारे मन-मस्तिष्क में एक नया प्रकाश समाहित कर देते थे। आज भी वॉल पेंटिंग्स और संस्कृत पट्टिकाओं में लिखे गए छोटे-छोटे महत्वपूर्ण सिद्धांत जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। संस्कृत का प्रभाव केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है; यह भाषा जीवन के विभिन्न पहलुओं को सूक्ष्म में ही प्रभावी तरीके से व्यक्त करती है।” उन्होंने आगे कहा, “संस्कृत विश्व की सबसे समृद्ध भाषा है। इस भाषा में ज्ञान और संस्कृति का अद्भुत समावेश है, जो किसी अन्य भाषा में दुर्लभ है। संस्कृत के शब्दों में गहराई होती है, और यह जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सरलता से समझाती है। उदाहरण के लिए, ‘सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही जीत होती है) और ‘नास्ति विद्या समं चक्षुः’ (विद्या के समान कोई नेत्र नहीं है) जैसे श्लोक न केवल हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं, बल्कि जीवन के मूल सिद्धांत भी सिखाते हैं। इसलिए संस्कृत भाषा केवल पठन-पाठन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन को सही मार्ग पर ले जाने का एक उपकरण है।” इस अवसर पर जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया “*हम राजधानी लखनऊ में कुछ विशेष जगहों पर संस्कृत पट्टिकाओं को लगाने की योजना बना रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य संस्कृत भाषा के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है, ताकि लोग इस भाषा की शक्ति और इसके संदेश को समझ सकें।“
उन्होंने कहा इस वर्ष विश्व संस्कृत दिवस का सावन पूर्णिमा रक्षाबंधन पर जाना विशेष संयोग है। जो संस्कृत और हमारी सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को अधिक बढ़ा देता है। जहाँ रक्षाबंधन पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने वाला पर्व है। वहीं विश्व संस्कृत दिवस हमारी संस्कृति और परंपराओं की आधारशिला को प्रासंगिक बनाता है।
उन्होंने कहा 19 अगस्त का यह विश्व संस्कृत दिवस का यह अवसर संस्कृत की शक्ति को समझने और जीवन को बेहतर बनाने में सहायक साबित होगा।