गमले में सुंदर वृक्ष ही असली बोनसाई: फहद मलिक

अवध बोनसाई एसोसिएशन की कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न

दैनिक इंडियन न्यूज़ लखनऊ से उदय राज की खास रिपोर्ट

अवध बोनसाई एसोसिएशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बोनसाई कार्यशाला का समापन मंगलवार को हुआ। बोनसाई विशेषज्ञ फहद मलिक ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को बोनसाई की कटिंग और वायरिंग की बारीकियों से परिचित कराया और असली बोनसाई की पहचान बताई। उन्होंने कैजुरीना, जंगल जलेबी, मैक्सवेल, और फाइकस जैसे पौधों पर डिमॉन्स्ट्रेशन कर पेड़ों को सुंदर बनाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

महानगर स्थित होटल गोल्डन एप्पल में आयोजित इस कार्यशाला में फहद मलिक ने बताया कि जयपुर में रहते हुए उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर बोनसाई का विकास किया। यह कला उन्हें उनके माता-पिता से विरासत में मिली, जो स्वयं प्रकृति प्रेमी थे। बचपन से ही पौधों के प्रति उनके विशेष लगाव के कारण उन्होंने यह कला सीखी। उन्होंने कहा, “बोनसाई में मेरा ज्ञान अनुभव से आया है, न कि किताबी ज्ञान से। इसी कारण यह असली बोनसाई कला है।”

कार्यशाला के दौरान फहद मलिक ने कहा कि लखनऊ बोनसाई एसोसिएशन के कई कार्य उत्कृष्ट हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने बोनसाई कला को गहराई से समझने और अपनी कला को और भी निखारने की लगन दिखाई। इसी कारण अवध बोनसाई एसोसिएशन आज देश की प्रमुख बोनसाई संस्थाओं में से एक है। उन्होंने बोनसाई के पौधों की कटाई-छंटाई के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि बेडौल पौधों को संवारने के लिए छंटाई आवश्यक है और पौधे के कुछ भागों को हटाने से उसकी बेहतर वृद्धि होती है।

अवध बोनसाई एसोसिएशन की अध्यक्ष रेनू प्रकाश ने कहा कि यह वर्कशॉप बहुत सफल रही और इसके माध्यम से सभी ने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य बोनसाई कला को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है, और हम आगे भी ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करते रहेंगे।

इस मौके पर अवध बोनसाई एसोसिएशन की अध्यक्ष श्रीमती रेनू प्रकाश, चीफ टेक्निकल एडवाइजर केके अरोड़ा, और प्रमुख सदस्य पद्मा सिंह, बीनू कलसी, अलका मैगन, रमा मैगन, सुमन अग्रवाल, प्रीति सिंह, विधि भार्गव, प्रियांशी, राधिका सूद, शैली चौधरी, शाश्वत पाठक आदि उपस्थित थे।

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