डेमचॉक और देपसांग में सैन्य विघटन: दीवाली पर सीमा पर शांति की नई पहल
दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।दीपावली से पहले भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैन्य विघटन की प्रक्रिया ने भारतीय सैनिकों और नागरिकों में आशा की नई किरण जगा दी है। डेमचॉक और देपसांग में चल रही सैन्य गतिविधियों के बीच 22 अक्तूबर को शुरू हुई स्थानीय कमांडर स्तर की मीटिंग के बाद दोनों देशों ने अपने-अपने टेंट हटाए और कुछ अस्थायी ढांचों को नष्ट किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इसे सीमा पर शांति और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम बताया है, जो दीपावली के मौके पर एक सकारात्मक संदेश के रूप में सामने आया है।
गश्ती और चरागाह की नई व्यवस्था: विश्वास और सामंजस्य का संदेश
रक्षा विशेषज्ञ प्रवीण साहनी के अनुसार, अगस्त के अंत में चीन द्वारा भारत के सामने रखा गया गश्ती और चरागाह व्यवस्था का प्रस्ताव दोनों देशों में आपसी विश्वास बढ़ाने का एक बड़ा प्रयास है। इस समझौते के तहत पहले चरण में दोनों देशों के सैनिक देपसांग और डेमचॉक में दो किलोमीटर अंदर तक गश्त कर सकेंगे और चरागाह व्यवस्था को पुनर्स्थापित कर सकेंगे। इस प्रक्रिया में सैनिकों की संख्या, समय और गश्त की अवधि के बारे में सूचित करना अनिवार्य होगा ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी को रोका जा सके।
मोदी-शी वार्ता का असर: सीमा पर शांति के प्रयासों में आई तेजी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस में हुई बैठक ने दोनों देशों के बीच संवाद की नई संभावना को बल दिया है। इस बैठक के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में विघटन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी है। दीवाली के पहले सीमा पर तनाव घटाने और क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने की इस पहल से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में फिर से सुधार होगा।
रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह दीपावली पर भारतीय जनता के लिए शांति और विश्वास का प्रतीक है, जो दोनों देशों के बीच पुराने विवादों को सुलझाने में सहायक हो सकता है। इस नई व्यवस्था से सीमा पर शांति की राह में ठोस प्रगति होगी, जो भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाएगी।