
दैनिक इंडिया न्यूज़ वाराणसी, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा संचालित विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के 10वें दिन वाराणसी जिले में व्यापक किसान संपर्क कार्यक्रम आयोजित किए गए। पिंडरा और सेवापुरी ब्लॉक के विभिन्न गांवों में आयोजित कार्यक्रमों में वाराणसी जनपद में 650 से अधिक किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया सब्जी फसलों पर वैज्ञानिक सुझावों के अंतर्गत आइआइवीआर के वैज्ञानिकों ने किसानों को भिंडी की खेती, व्यावसायिक सब्जी उत्पादन, और बेमौसम सब्जी उत्पादन की तकनीकों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया। भिंडी में रोग प्रबंधन, टमाटर में कलमी तकनीक, और मिर्च में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन पर विशेष रूप से चर्चा की गई। किसानों को बताया गया कि ह्यूमिक एसिड और माइक्रोबियल कंसोर्टियम के उपयोग से सब्जी फसलों में 20-25% अधिक उत्पादन मिल सकता है आधुनिक तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से उपज बढाया जा सकता है. कार्यक्रम में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का प्रदर्शन किया गया, जो पारंपरिक उर्वरकों से 30% कम मात्रा में प्रयोग करके समान उत्पादन देते हैं। ड्रोन तकनीक से कीटनाशक छिड़काव और सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली का प्रदर्शन किसानों में व्यापक उत्साह जगाया। स्मार्ट ट्रैप और स्टिकी ट्रैप से पर्यावरण अनुकूल कीट प्रबंधन की जानकारी दी गई। एकीकृत समाधान के रूप में बायो-फेंसिंग, जल संरक्षण हेतु मल्चिंग तकनीक, और फल छेदक कीट के लिए ट्राइकोडर्मा आधारित जैविक नियंत्रण के व्यावहारिक प्रदर्शन किए गए।
आइआइवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि “विकसित कृषि संकल्प अभियान में महिला किसानों की उत्साहजनक भागीदारी अत्यंत प्रेरणादायक है। दस दिनों में 6 जनपदों से 12,000 से अधिक महिला किसानों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया है। महिलाएं न केवल पारंपरिक खेती में बल्कि नवाचार अपनाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। मशरूम उत्पादन, रसोई बागवानी और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में उनकी रुचि देखकर हमें विश्वास है कि महिला किसान कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएंगी। कुल मिलकर विकसित कृषि संकल्प अभियान के 10 दिनों में 6 जनपदों में कुल 40,000 से अधिक किसानों तक वैज्ञानिकों ने सीधा संवाद बनाया है और यह क्रम अनवरत जारी है. कार्यक्रम में किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना, और विभिन्न सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी दी जा रही है। अभियान में कृषि आधुनिकीकरण, जैविक खेती, और टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर विशेष जोर दिया जा रहा है।