
आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संगठन और सनातन परंपरा का महत्व बताया

संतों के आशीर्वचन और सनातनी संगम से गूंजा आध्यात्मिक वातावरण

दैनिक इंडिया न्यूज, बाराबंकी।भक्ति, श्रद्धा और संगठन की अद्भुत छटा के बीच भगवान श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर वार्षिकोत्सव और लोकार्पण समारोह 23 सितम्बर को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। बाराबंकी के नारायण सेवा संस्थान परिसर, बरेठी देवा रोड (निकट रामस्वरूप यूनिवर्सिटी) में आयोजित इस कार्यक्रम ने समाज और सनातन संस्कृति के आदर्शों को नए आयाम प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह आदरणीय दत्तात्रेय होसबोले ने अपनी विशेष उपस्थिति से समारोह को गरिमा प्रदान की। प्रातः भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का मंत्राभिषेक और पूजन-अर्चन से आरंभ हुए इस आयोजन में भक्ति और भव्यता का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
अपने उद्बोधन में दत्तात्रेय होसबोलेजी ने कहा कि “सनातन धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला एक व्यापक दर्शन है। जब-जब समाज ने संगठन और संस्कृति की जड़ों को मजबूत किया है, तब-तब भारत ने विश्व का मार्गदर्शन किया है। आज आवश्यकता है कि हम अपने मंदिरों, अपने संस्कारों और अपनी परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का संकल्प लें।” उन्होंने यह भी कहा कि “धर्मो रक्षति रक्षितः — धर्म की रक्षा करने से ही हमारी रक्षा संभव है।”
कार्यक्रम की श्रृंखला में डीएम श्रावस्ती अजय द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद नारायण सेवा संस्थान एवं महामना मालवीय मिशन के संस्थापक प्रभुनारायण ने प्रस्तावना रखी। मुख्य अतिथि दत्तात्रेय जी द्वारा स्मारिका का विमोचन और उद्बोधन किया गया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह अध्यक्ष संस्कृतभारतीन्यास,प्रमोद पंडित क्षेत्रीय संगठन मंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश,शोभन लाल उकील ,अध्यक्ष संस्कृतभारती तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक कौशल जी, सुधीर गुप्ता महामंत्री सेवाभरती पूरब भाग अवध प्रांत समारोह में उपस्थित रहे। इनके साथ-साथ बड़ी संख्या में समस्त सनातनी जनमानस ने अपनी भागीदारी से इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
आध्यात्मिकता की धारा को प्रखर करते हुए संत कबीर आध्यात्मिक संस्थान के विश्व संत गुरुदेव निष्ठा साहब ने आशीर्वचन दिए और सनातन धर्म की महत्ता पर बल दिया।
समापन सत्र में मंदिर न्यास अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव (अज्जू) ने सभी अतिथियों और श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
यह वार्षिकोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं रहा, बल्कि सनातन संस्कृति, सेवा और सामाजिक एकता का विराट संगम बनकर इतिहास में दर्ज हो गया।