ऊर्जा के नाम पर घूंट-घूंट चढ़ती आदत… कहीं दिल को साइलेंट अटैक की ओर तो नहीं धकेल रही?

दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ। कॉफी—जिसे हम रोज़मर्रा की थकान मिटाने वाला साथी समझते हैं—आज वैज्ञानिक अध्ययनों के कटघरे में खड़ी है। एक ओर यह मन को चुस्त कर देने वाली ऊर्जा का घूंट है, तो दूसरी ओर कई शोध इसकी अत्यधिक मात्रा को हृदय-रुग्णता के बढ़ते जोखिम से जोड़ते दिख रहे हैं। यह विरोधाभास इतना गहरा है कि यह प्रश्न अब गंभीर होकर हमारे सामने खड़ा है: क्या हम सच में जाग रहे हैं, या कॉफी हमें अनजाने में एक “साइलेंट खतरे” की ओर धकेल रही है?

हाल के अध्ययनों ने चेतावनी देने का काम किया है। विस्तृत विश्लेषणों में यह सामने आया कि मध्यम मात्रा तक कॉफी हानिकारक नहीं, किंतु दिन में तीन-चार से अधिक कप पीने वालों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। जापान में किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन ने तो साफ कहा कि जिन व्यक्तियों का रक्तचाप बहुत अधिक है—वे यदि रोज़ाना दो या उससे अधिक कप कॉफी लेते हैं—तो उनकी हृदय-मृत्यु का खतरा दोगुना हो सकता है। यूरोपीय शोधकर्ता भी मानते हैं कि कॉफी और दिल का रिश्ता सीधी रेखा नहीं, बल्कि उलझा हुआ, U-आकार का है—जहाँ कम और मध्यम सेवन सुरक्षित है, लेकिन अधिक सेवन दिल की धड़कनों में असामान्यता से लेकर गंभीर कार्डियक घटनाओं तक को जन्म दे सकता है।

कुछ अध्ययन तो यह भी बताते हैं कि दफ्तरों में मशीनों से बनने वाली कॉफी, यदि सही तरह से फिल्टर न हो, तो ऐसे यौगिक पैदा करती है जो कोलेस्ट्रॉल को तेजी से बढ़ा सकते हैं। बैठ कर काम करने वाले लोगों में यह जोखिम और बढ़ जाता है—क्योंकि कैफीन और निष्क्रिय जीवनशैली का संगम हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालता है। यह तथ्य हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सुबह-सुबह जो हम सहजता से “ऊर्जा” समझकर पीते हैं, कहीं वही ऊर्जा हमारे दिल की दीवार पर अदृश्य तनाव का बोझ तो नहीं बना रही।

डॉक्टर और न्यूट्रिशन विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि कॉफी शरीर को तात्कालिक सतर्कता तो देती है, पर उसकी अत्यधिक निर्भरता शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा-प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। यदि आप लगातार थकान, दिल की धड़कन तेज होने, बेचैनी, नींद कम होने या ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसी शिकायतें महसूस कर रहे हैं—तो कॉफी की मात्रा पर पुनर्विचार करने का समय आ चुका है। विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट किया है कि कई लोगों के लिए कॉफी के स्थान पर हर्बल टी, ग्रीन टी, नींबू-गर्म पानी या प्राकृतिक ऊर्जा-वर्धक पेय अधिक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकते हैं।

इस चेतावनी को मात्र “एक शोध की बात” समझकर टालना भूल होगी, क्योंकि हार्ट अटैक आजकल चुपके से आने वाली त्रासदियों में से है—और कई अध्ययनों में कैफीन को इस खतरे का छुपा हुआ कारक बताया गया है। जीवन की भागदौड़, तनाव और असंतुलित दिनचर्या के बीच हम अक्सर अपने शरीर को सुनना भूल जाते हैं। और यही भूल कभी-कभी भारी कीमत मांग लेती है।

इसलिए यदि कॉफी आपकी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा है—और विशेषकर यदि आप तीन-चार कप से अधिक पीते हैं—तो अपने न्यूट्रिशन मेडिसिन एक्सपर्ट या डॉक्टर से आज ही सलाह लें। यह एक साधारण सावधानी नहीं, बल्कि आपके हृदय को संभावित साइलेंट अटैक से सुरक्षित करने का मार्ग है।

ऊर्जा चाहिए—तो सही स्रोत चुनें। जागना है—तो अपने दिल के प्रति सचेत होकर जागें। क्योंकि आदतें बदल सकती हैं… लेकिन दिल सिर्फ एक है, और उसकी धड़कन का रुक जाना किसी शोध-पत्र की लाइन नहीं—जीवन की सबसे बड़ी वास्तविकता है।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *