ज्ञानवापी हिन्दु आस्था का ही प्रश्न नही है, हमारे राष्ट्र की चेतना व संस्कृति का मूल आधार -जेपी सिंह

दैनिक इंडिया न्यूज

ज्ञानवापी हिन्दु आस्था का ही प्रश्न नही है। ज्ञानवापी हमारे राष्ट्र की चेतना व संस्कृति का मूल आधार है।उपरोक्त भावनाओ को श्री जे पी सिंह, अध्यक्ष संस्कृत भारती न्यासअवधप्रान्त ने व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा दर्शन सत्यं,शिवंम,सुंदरम पर आधारित है।शिव ही सत्य है,सत्य ही सुंदर है।जो सुंदर है वह ही सृष्टि का आधार है।जीवन भाव और जीवन पद्धति के मूल आधार ही शिव है। आदि काल से वेद,पुराण व धर्म शास्त्र यह प्रमाणिक करते हैं कि शिव ही प्रकृति के संतुलन को ही नही , मोक्ष प्रदान करने मे मुख्य है।ज्ञानवापी वही स्थान है जो पृथ्वी के केंद्र पर मोक्ष दायनी स्थान है।यह विवाद से परे है।गंगा जल से अभिसिंचित पवित्र स्थान है।आक्रांताओं के कुत्सित भावों ने मूल हिन्दु दर्शन को नष्ट करने के असफल प्रयासों के आलोक मे यह कुकृत्य कर ज्ञानवापी के स्वरूप को बदलने का कार्य किया। पूर्ववर्ती सरकारों ने इस दशा सुधार के लिए कोई प्रयास नही किए। आज मोदी सरकार धर्मनिरपेक्षता के साथ भारतीय संस्कृति व दर्शन को पुनर्जीवित करने हेतू सकारात्मक पग बढ़ाते हुए संविधान की सीमाओं मे रहकर राम मंदिर की भांति विवाद रहित उपचार प्रदान कर मंदिर निर्माण कार्य मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए भारत राष्ट्र को विश्व पटल पर हिन्दू दर्शन से गौरवान्वित कर विश्व गुरू बनाने मे अग्रसर है।
ऊँ नमः शिवाय
ज्ञानवापी शिवालय ज्ञान, अध्यात्म व जीवन दर्शन का केन्द्र बन पुनः हमारी धार्मिक विश्वास का सम्मानजनक स्थल बनेगा।*
*आज न्यायालय का निर्णय कुछ भी हो भारतीय दर्शन का न्याय ” शिव ही सत्य है- इसके लिए किसी प्रमाण अथवा निर्णय की अवश्यकता नही है”।साक्ष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले न्याय के प्रति कितने संवेदनशील होंगे,यह प्रश्न चिन्ह हो सकता है किन्तु सत्य अटल है।हम अपनी आस्थाओं के साथ श्रंगार गौरी के प्रति समर्पित है व रहेंगे।

सस्नेह शिव-गौरी अभिनन्दन सहित
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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