◆2022-23 के लिए कैबिनेट से स्वीकृत शीरा नीति में योगी सरकार ने पारदर्शिता को दी प्राथमिकता
◆नीति में प्रदेश की चीनी मिलों को 20 प्रतिशत तक शीरा आरक्षित रखने का निर्देश
◆शीरे से उत्पादित अल्कोहल का विभिन्न उत्पादों के निर्माण में होता है इस्तेमाल
◆शीरे की अत्यधिक मांग से अवैध अल्कोहल के निर्माण एवं बिक्री की रहती है संभावना
हरिंद्र सिंह दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने कामकाज में पारदर्शिता को हमेशा तवज्जो दी है। हाल ही में मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृत की गई 2022-23 की नई शीरा नीति में भी पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा गया है। इसके तहत मुख्यमंत्री योगी ने चीनी मिलों द्वारा पेरे जाने वाले गन्ने से उत्पादित अल्कोहल के दुरूपयोग को रोकने का भी प्रयास किया है। नई शीरा नीति में प्रत्येक चीनी मिल को पेराई से प्राप्त सी हैवी शीरा के टर्म में कुल शीरा उत्पादन का 20 प्रतिशत आरक्षित रखना होगा। वहीं, शीरा की अत्यधिक मांग को देखते हुए अन्य राज्यों व राष्ट्रों में निर्यात पर भी कुछ शर्तें रखी गई हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में उत्पादित गन्ने की पेराई हेतु 158 चीनी मिलें स्थापित हैं। इन चीनी मिलों में से 28 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ की, 23 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की, 3 चीनी मिलें भारत सरकार की एवं 104 चीनी मिलें निजी क्षेत्र की हैं।
नियंत्रण है जरूरी
प्रत्येक वर्ष के 1 नवंबर से आगामी वर्ष के 31 अक्टूबर तक की अवधि शीरा वर्ष कहलाती है तथा उक्त अवधि के लिए प्रतिवर्ष शीरा नीति निर्धारित की जाती है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में उत्पादित शीरे से विभिन्न प्रकार के अल्कोहल यथा- रेक्टीफाइड स्प्रिट, ई.एन.ए. (एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल) ग्रीन फ्यूल एथनॉल विशेष विकृत सुरा, मदिरा (देशी एवं विदेशी) एच.पी.एल.सी. (हाई परफार्मेस लिक्विड कोमेटोग्राफी) के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। शीरे से उत्पादित अल्कोहल का प्रयोग आसवनियां (पेय मदिरा निर्माणार्थ), पेट्रोलियम डिपो, फार्मेसी, रासायनिक इकाईयां, विभिन्न चिकित्सालयों, शिक्षण संस्थाओं, प्रयोगशालाओं, सुरक्षा संस्थानों एवं अन्य प्रतिष्ठानों में किया जाता है। विभिन्न प्रकार के अल्कोहल के निर्माण एवं मांगकर्ता इकाईयों की संख्या बहुत अधिक होती है, जिनकी मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बनाए रखा जाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त शीरे से उत्पादित अल्कोहल की मांग अधिक होने के कारण शीरे के दुरूपयोग होने की संभावना अवैध अल्कोहल के निर्माण एवं बिक्री के रूप में सदैव बनी रहती है। इस कारण से प्रदेश में स्थापित चीनी मिलों में उत्पादित शीरे को नियंत्रित किया जाना आवश्यक है। योगी सरकार ने इसी दिशा में कदम बढ़ाया है।
समयसीमा की गई निर्धारित
नीति में उल्लिखित शर्तों के अनुसार देशी मदिरा निर्मित करने वाली आसवनियों को आरक्षित शीरे हेतु अपनी मांग माह की 7 तारीख तक प्रस्तुत करनी होगी व चीनी मिल द्वारा आसवनी की मांग पर 10 तारीख तक निर्णय लेना होगा। चीनी मिलें आरक्षित शीरे के विक्रय हेतु टेंडर किए जाने वाले शीरे की मात्रा माह के प्रथम सप्ताह में घोषित करेंगी। चीनी मिलें निर्धारित आरक्षण प्रतिशत के अनुरूप आरक्षित शीरे की आपूर्ति एक या एक से अधिक चीनी मिलों से कर सकेंगी।
पूर्वांचल को मिलेगी तवज्जो
नीति में पूर्वांचल को खास तवज्जो दी गई है। पूर्वांचल के जिलों गोरखपुर, देवीपाटन, अयोध्या, आजमगढ़, वाराणसी, बस्ती तथा विंध्याचल मंडलों में स्थित पेय आसवनियों द्वारा 25 से 30 प्रतिशत देशी शराब की आपूर्ति की जाती है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पूर्वांचल की इन आसवनियों को समूह की चीनी मिलों द्वारा कम से कम पूर्वांचल स्थित एक चीनी मिल से आरक्षित शीरे की आपूर्ति करना अनिवार्य होगा। अन्य राज्यों या राष्ट्रों को शीरे के निर्यात या उनसे आयात के संबंध में निर्णय हेतु शीरा नियंत्रक की अध्यक्षता में पूर्व में गठित समिति को बरकरार रखा गया है। समिति में शीरा नियंत्रक या आबकारी आयुक्त अध्यक्ष होंगे, जबकि अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन), शासन द्वारा नामिक प्रतिनिधि व गन्ना विकास द्वारा नामित प्रतिनिधि, संयुक्त आबकारी आयुक्त (ईआईबी) सदस्य होंगे। वहीं उप आबकारी आयुक्त (उत्पादन) समिति के सचिव व संयोजक होंगे। प्रदेश में शीरे की आवश्यक्ता के लिए पर्याप्त शीरा उपलब्ध होने पर ही शीरे के निर्यात की अनुमति दी जाएगी। निर्यात के लिए पहले की तरह उत्तराखंड राज्य को वरीयता दी जाएगी। शीरा वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड राज्य की शीरा या अल्कोहल आधारित इकाईयों को 25 लाख कुंतल शीरे के निर्यात की अनुमति दी गई है। वहीं, अन्य राज्यों से शीरा आयात करने से पूर्व आयातक को आबकारी आयुक्त एवं शीरा नियंत्रक से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। अन्य राष्ट्रों से शीरा आयात या निर्यात करने हेतु शीरा आयातक या निर्यातक को भारत सरकार द्वारा आयात व निर्यात के संबंध में निर्धारित नीति का पालन करने के साथ आबकारी आयुक्त एवं शीरा नियंत्रक से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
पारदर्शी होगी पूरी प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है। शीरे के उठान को नियंत्रित करने एवं संभरित शीरे का सही लेखा-जोखा रखने के उद्देश्य से शीरे का संभरण पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा तथा आसवनियों में शीरे की प्राप्ति व अल्कोहल का उत्पादन व निकासी तथा स्टाक की समस्त सूचना पोर्टल पर मिलेगी। रूग्ण चीनी मिल को यदि कोई छूट प्रदान की जाती है तो छूट मिलने की तिथि से रिहेबिलिटेशन पैकेज की अवधि तक चीनी मिल में उत्पादित या उपलब्ध शीरे पर आरक्षण लागू नहीं होगा। हालांकि ऐसी चीनी मिलों को विनियामक शुल्क में किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी।