एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की गूंज के बीच दक्षिण भारत के तीन संतों की प्रतिमाएं हुईं स्थापित, बृहस्पति कुण्ड बना सांस्कृतिक एकता का साक्षी

अयोध्या में आध्यात्मिक इतिहास का नया अध्याय

दैनिक इंडिया न्यूज़, अयोध्या की पवित्र भूमि पर आज ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने पूरे देश को भावविभोर कर दिया। उत्तर और दक्षिण की भक्ति परंपराएं आज एक सूत्र में बंधीं जब केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारामन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पति कुण्ड परिसर में दक्षिण भारत के तीन पूज्य संतों — श्री पुरंदर दास, श्री त्यागराजा और श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमाओं का अनावरण किया। क्षण भर के लिए ऐसा लगा मानो स्वयं श्रीराम ने अपने भक्तों को अपनी नगरी में आमंत्रित किया हो।

कार्यक्रम के आरंभ में जब निर्मला सीतारामन ने कहा — “अयोध्या भारत की सांस्कृतिक आत्मा है, यहां उत्तर और दक्षिण का मिलन होता है,” तो पूरा वातावरण श्रद्धा और भावनाओं से भर उठा। उन्होंने कहा, “आज यह प्रतीत होता है कि श्रीराम ने स्वयं इन संतों को अपने चरणों में स्थान देने के लिए यहां बुलाया है।”

इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच संभालते हुए कहा — “इन पूज्य संतों ने न केवल दक्षिण भारत में भक्ति का प्रचार किया, बल्कि उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाला आध्यात्मिक सेतु भी बनाया।”

कार्यक्रम के दौरान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पीएफसी लॉन में दक्षिण भारत के 39 विख्यात संगीतज्ञों ने कर्नाटक संगीत की अलौकिक प्रस्तुति दी। मृदंगम, कंजीरा, घाटम और मोर्सिंग की स्वर लहरियों ने जब वातावरण को गुंजायमान किया, तो लगा जैसे स्वयं भक्ति और संगीत का संगम अयोध्या में उतर आया हो।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “श्री त्यागराजा महास्वामी, श्री पुरंदर दास और श्री अरुणाचल कवि — ये तीनों संत श्रीराम भक्ति के ऐसे दीपस्तंभ हैं जिन्होंने समर्पण, साधना और संगीत से पूरे दक्षिण भारत को प्रकाशित किया।” उन्होंने बताया कि श्री त्यागराजा को ‘कर्नाटक संगीत त्रिमूर्ति’ में स्थान प्राप्त है, श्री पुरंदर दास को ‘कर्नाटक संगीत का जनक’ कहा जाता है, और श्री अरुणाचल कवि ने तमिल साहित्य और संगीत में भक्ति का अमिट रंग भरा।

योगी ने कहा — “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अभियान को यह आयोजन नई ऊर्जा दे रहा है। अयोध्या की यह मिट्टी अब राष्ट्रीय एकता का जीवंत प्रतीक बन चुकी है।”

इसी क्रम में उन्होंने यह भी घोषणा की कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के चार प्रमुख द्वार संत परंपरा के नाम पर होंगे — दक्षिण दिशा का द्वार जगद्गुरु शंकराचार्य, दक्षिण-पूर्व दिशा का जगद्गुरु मध्वाचार्य, उत्तर दिशा का जगद्गुरु रामानुजाचार्य, और सुग्रीव किला दिशा का द्वार जगद्गुरु रामानंदाचार्य के नाम से जाना जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा — “काशी विश्वनाथ धाम के बाद ‘काशी तमिल संगमम’ के माध्यम से प्रधानमंत्री ने उत्तर-दक्षिण को जोड़ा। अब अयोध्या में दक्षिण भारत के तीन संतों की प्रतिमाओं का अनावरण इस भावना को और सशक्त बना रहा है।”

कार्यक्रम के अंत में जब मंच से निर्मला सीतारामन और योगी आदित्यनाथ ने एक साथ कहा —
“उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, हमारी भावनाएं एक हैं — ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’,”
तो पूरा परिसर तालियों और “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

अयोध्या आज गवाह बनी — जब दक्षिण के संतों की भक्ति, उत्तर की आस्था और भारत की एकता एक ही भाव में विलीन हो गई।

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