बिहार में इंडी गठबंधन (कांग्रेस) द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की मां  के लिए की गई अभद्र टिप्पणी पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने किया विरोध

राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने दी कड़ी प्रतिक्रिया – कहा, “प्रधानमंत्री की माँ का सम्मान सर्वोपरि है”

जितेंद्र प्रताप सिंह ने राष्ट्रपति से की अपील – अशोभनीय वक्तव्य देने वालों पर हो कठोर कार्रवाई

दैनिक इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली।बिहार की राजनीति में इन दिनों मर्यादाओं का पतन साफ़ दिखाई देने लगा है। सत्ता के लिए संघर्ष कर रही विपक्षी पार्टियों द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता को लेकर अपमानजनक और अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया। इसने न केवल पूरे देश को स्तब्ध किया, बल्कि उन सभी नागरिकों की भावनाओं को भी गहराई से आहत किया है, जिनके लिए माँ का स्थान सर्वोच्च है।

इस विषय पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “सनातन संस्कृति में माँ को देवी का स्वरूप माना गया है। यहाँ तक कि भगवान राम ने भी कहा था — ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’ ऐसी संस्कृति में किसी की माता पर अपशब्द कहना घोर पाप है।”

उन्होंने आगे कहा –
“नरेंद्र मोदी आज केवल एक राजनीतिक दल के नेता नहीं हैं, बल्कि पूरे भारत के प्रधानमंत्री हैं। उनके पद का सम्मान करना जितना आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है कि उनकी माता का सम्मान किया जाए। माँ केवल नरेंद्र मोदी की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की संस्कृति और संस्कार का प्रतीक होती हैं।”

मीडिया से बातचीत में जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस मामले की जितनी निंदा की जाए, वह कम है। उनके अनुसार यह केवल नरेंद्र मोदी या उनकी माता का नहीं, बल्कि हर भारतीय माँ की गरिमा का अपमान है। उन्होंने विपक्षी नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि “यदि शब्दों की मर्यादा नहीं सीखी गई, तो जनता स्वयं उन्हें सबक सिखाएगी।”

सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस मामले पर महामहिम राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा –
“हम महामहिम राष्ट्रपति से निवेदन करते हैं कि प्रधानमंत्री की माता पर की गई इस अभद्र टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाए और ऐसे वक्तव्य देने वालों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। क्योंकि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की संस्कृति और मर्यादा का प्रश्न है।”

जितेंद्र प्रताप सिंह के यह शब्द विपक्षी खेमे के लिए एक गहरी चेतावनी हैं। उनका संदेश स्पष्ट है कि लोकतंत्र में असहमति का अधिकार है, लेकिन माँ के सम्मान का अपमान किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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