दैनिक इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली: इस बार के चुनावों में एनडीए गठबंधन को कम सीटें मिलने के पीछे चार मुख्य कारण सामने आए हैं। पहला कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर एनडीए सरकार बनाएगी तो योगी जी को झोला लेकर जाना पड़ेगा। इस पर भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे जनता में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई।
दूसरा कारण राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ा है। जिन लोगों ने राम मंदिर के लिए वर्षों तक संघर्ष किया, जैसे विनय कटियार और प्रवीण तोगड़िया, उन्हें प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया। इससे भाजपा के परंपरागत समर्थकों में नाराजगी फैल गई।
तीसरा कारण भाजपा का अपने संगठन और कार्यकर्ताओं के प्रति रवैया है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा बर्ताव करती है जैसा गैरों के साथ किया जाता है। इससे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में असुरक्षा की भावना व्याप्त रहती है और वे डरते रहते हैं कि कल को उन्हें हटाकर किसी बाहरी व्यक्ति को लाया जा सकता है। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा फैलती है और संगठन कमजोर होता है।
चौथा और सबसे महत्वपूर्ण कारण आरएसएस पर जेपी नड्डा की टिप्पणी है। नड्डा ने इंडियन एक्सप्रेस के इंटरव्यू में कहा था कि पहले भाजपा कमजोर थी तब RSS की जरूरत पड़ती थी, अब भाजपा को किसी की जरूरत नहीं है। इस बयान से भाजपा और आरएसएस कार्यकताओं के बीच असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ा। जेपी नड्डा के इस बयान को विपक्ष ने बहुत ही ज्यादा वायरल किया , इसके अलावा, जिन कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किये, उनके कार्यों को संगठन ने नजरअंदाज किया।
इन सभी घटनाओं ने मिलकर एनडीए गठबंधन की स्थिति को कमजोर किया और चुनाव में कम सीटें मिलने का प्रमुख कारण बना।