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दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व क्षेत्र संघचालक एवं पूर्व क्षेत्र कार्यवाह (पूर्वी उत्तर प्रदेश) श्रद्धेय स्व. रामकुमार वर्मा का संपूर्ण जीवन राष्ट्रसेवा, संगठनात्मक दृढ़ता एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण को समर्पित रहा। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, निःस्वार्थता एवं राष्ट्रोन्नति का गूढ़ समन्वय परिलक्षित होता था। उन्होंने संघ के सिद्धांतों को आत्मसात कर समाजोत्थान हेतु अविराम साधना की तथा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता से राष्ट्रवादी चेतना का प्रवर्तन किया।
संघ के विचारधारा अनुरूप उन्होंने सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रनिष्ठा को दृढ़ता प्रदान करने हेतु अनवरत श्रम किया। उनके मार्गदर्शन में संघ कार्यकर्ताओं ने आत्मनिर्भरता, स्वदेशी अवधारणा एवं सांस्कृतिक गौरव की भावना को व्यापक स्वरूप प्रदान किया। उनका चिंतन समाजोत्थान एवं राष्ट्रवाद की संकल्पना से अनुप्राणित था, जो भारतीय जीवन मूल्य एवं सनातन संस्कृति की शुचिता को अक्षुण्ण बनाए रखने पर केंद्रित था।
उन्होंने शिक्षा, समाज सेवा एवं आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। उनका विश्वास था कि भारतीय शिक्षा प्रणाली का पुनरुत्थान ही राष्ट्रनिर्माण की आधारशिला बन सकता है। वे गुरुकुल पद्धति एवं आध्यात्मिक अनुशासन के प्रबल समर्थक थे और मानते थे कि अनुशासन एवं स्वाभिमान ही राष्ट्र की प्रगति के मूलाधार हैं। उनकी संगठन क्षमता अद्वितीय थी, जिससे उन्होंने असंख्य कार्यकर्ताओं को राष्ट्रोत्थान की दिशा में प्रेरित किया।
सादगी, विनम्रता एवं कर्तव्यपरायणता की मूर्ति रहे रामकुमार वर्मा का सम्पूर्ण जीवन समर्पण एवं तपस्या का पर्याय था। उनका व्यक्तित्व वाणी से अधिक कृतित्व में प्रखर था, जिससे समाज में अनुकरणीय प्रेरणा प्रवाहित होती थी। उनकी विचारधारा कालजयी है, जो अनंत काल तक राष्ट्रभक्तों के पथ को आलोकित करती रहेगी। उनके निधन से संगठन को अपूरणीय क्षति हुई है, किंतु उनकी शिक्षाएँ एवं आदर्श सदैव समाज को दिशा प्रदान करते रहेंगे। उनका योगदान राष्ट्रहित में अविस्मरणीय रहेगा, और उनकी पुण्यस्मृति को सादर नमन।