लखनऊ में जेठ माह के मंगल भंडारे का आत्मीय आयोजन-जितेंद्र प्रताप सिंह

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ, 11 अप्रैल 2024उत्तर प्रदेश की राजधानी, अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आयोजन के लिए प्रसिद्ध है।

इनमें से एक महत्वपूर्ण आयोजन है जेठ माह के हर मंगल को भगवान हनुमान जी के प्रति आयोजित होने वाला विशाल भंडारा।

इस परंपरा के अंतर्गत इस वर्ष भी राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने भव्य दिव्यऔर विशाल भंडारे का आयोजन किया। इस आयोजन की खासियत यह है कि यह ना केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता और सेवा का भी अद्वितीय उदाहरण है।

भंडारे का यह आयोजन जितेंद्र प्रताप सिंह ने अपने अग्रज और लखनऊ से पुन: र्निवाचित जीत की तिकड़ी लगाने वाल सांसद रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की जीत की खुशी में और हर साल की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से किया। इस वर्ष के आयोजन में सुरेश खन्ना वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री,नरेन्द्र कश्यप पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग,असीम अरूण मंत्री समाज कल्‍याण विभाग महेन्द्र सिंह पूर्व मंत्री व विधान परिषद सदस्य, संजय सेठ राज्य सभा सदस्य लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की कुलपति डॉक्टर सोनिया नित्यानंद, विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान,मुकेशशर्मा,नव निर्वाचित विधायक लखनऊ पूर्व ओमप्रकाश श्रीवास्तव, सी एम सिंह निदेशक राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान,स्वामी कौशिक जी महाराज चिन्मयानन्द आश्रम,पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया,आनंद द्विवेदी नगर अध्यक्ष लखनऊ भाजपा,डा एस के सिंह ,डा अनित परिहार,डा बी पी सिंह अध्यक्ष मिडलैंड हेल्थकेयर एवं रिसर्च सेंटर, डा दिवाकर दलेला ,डा पुनीत महरोत्रा ,डा आभा दलेला,डा पल्लवी सिंह, ले जनरल राजीव पन्त(सेवानिवृत्त) डा सुशील कुमार अग्रवाल, डा मनीष रस्तोगी,डा आर के गुप्ता,पूर्व महापौर स्व एस सी राय के परिजन,गुलाब सिंह अध्यक्ष वारियर्स डिफेंस एकेडमीसहित कई बड़ी संख्या गणमान्य व्यक्तियों ने मुख्य रूप से शिरकत की। यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए बल्कि समस्त आम जनजीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण था।

भंडारे का उद्देश्य सिर्फ भगवान हनुमान जी की आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक सामाजिक महत्त्व भी है। भूखे को भोजन कराने का सुख एक ऐसा आत्मीय अनुभव है, जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है। भारतीय संस्कृति में अतिथि सत्कार और सेवा भाव को अत्यंत महत्व दिया गया है। जब हम किसी भूखे को भोजन कराते हैं, तो वह केवल उसकी भूख ही नहीं मिटती, बल्कि उसमें आत्मीयता और प्रेम का संचार भी होता है।

भंडारे के माध्यम से जितेंद्र प्रताप सिंह ने समाज के हर वर्ग को एकत्रित कर सेवा भाव का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस आयोजन में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने न केवल भोजन का आनंद लिया, बल्कि सेवा और समर्पण का अनुभव भी किया। यह भंडारा सभी के लिए एक ऐसा मंच बना, जहाँ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था। सभी ने एक साथ बैठकर भोजन किया और एक-दूसरे की सेवा की भावना को महसूस किया।

भंडारे में परोसे गए भोजन में सादगी और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा गया। भोजन के प्रत्येक कण में भक्तिभाव झलकता था और सेवा का सच्चा अनुभव मिलता था। यह आयोजन समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के लिए एक बहुत बड़ी सहायता सिद्ध हुआ। इसमें भाग लेने वाले लोगों ने न केवल भोजन किया, बल्कि इस आयोजन ने उन्हें यह महसूस कराया कि समाज में अभी भी सेवा और समर्पण का भाव जीवित है।

भंडारे का आयोजन ऐसे समय में हुआ जब समाज में विभाजन और असमानता की खबरें आम हो गई हैं। इस प्रकार के आयोजन से समाज में समरसता और एकता की भावना को बल मिलता है। यह हमें यह सिखाता है कि भले ही हमारे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हम सभी को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए और भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ी सेवा है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि सेवा और समर्पण ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। भगवान हनुमान जी की आराधना के साथ-साथ यह भंडारा समाज में प्रेम, सेवा और एकता का संदेश भी फैलाता है। जितेंद्र प्रताप सिंह का यह प्रयास समाज के लिए प्रेरणादायक है और इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे भी समाज की सेवा के लिए आगे आएं।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि इस भंडारे ने लखनऊ के आम जनजीवन को एक ऐसा अनुभव प्रदान किया जिसे वे हमेशा याद रखेंगे। नगर निगम की अपील पर इस भंडारे मे प्लास्टिक रहित व उपयोग की गई समस्त सामाग्री व अप्रयोज्य का निस्तारण स्तरीय व्यवस्था के साथ साथ करते हुए स्वच्छता,पर्यावरण संरक्षण के आलोक मे किया गया।आम जन मे इस भंडारे के माध्यम से प्लास्टिक मुक्त आयोजन का संदेश प्रसारित किआ ।


इस प्रकार के आयोजन हमारे समाज को एकजुट करने और सेवा की भावना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूखे को भोजन कराने का आत्मीय सुख वही जान सकता है जिसने कभी यह सेवा की हो। यह भंडारा केवल भोजन का आयोजन नहीं था, बल्कि एक सजीव उदाहरण था कि हम सब मिलकर कैसे एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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