सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया आईआईटीआर का दौरा

स्वस्थ भारत में ही विकसित भारत संभव: डॉ. जितेंद्र सिंह

दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ, 28 जनवरी 2025: सीएसआईआर-आईआईटीआर (भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान) की हीरक जयंती के अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान मंत्री और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थान का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंने अनुसंधान और नवाचार में संस्थान के योगदान की सराहना करते हुए स्वस्थ भारत को विकसित भारत की आधारशिला बताया।

डॉ. सिंह ने संस्थान की कई प्रमुख सुविधाओं का उद्घाटन किया, जिनमें नमो-अटल (केंद्रीय विश्लेषणात्मक अनुसंधान हब), वीवी संसा (प्रमाणित संदर्भ सामग्री सुविधा), और बायोनेस्ट संचालन केंद्र शामिल हैं। उन्होंने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट और हिंदी में प्रकाशित लेखों के संकलन “विषविज्ञान संदेश” के पहले खंड का विमोचन किया। इस अवसर पर आईआईटीआर पर आधारित एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया।

डॉ. सिंह की उपस्थिति में सीएसआईआर-आईआईटीआर ने वीवी संसा की तकनीक को गुरुग्राम स्थित FARE लैब्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया। इसके साथ ही, जल कीटाणुशोधन उपकरण “ओनीर” पर कोयंबटूर स्थित कॉनवे वाटर प्यूरीफायर प्राइवेट लिमिटेड के साथ रुचिपत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए।

इस मौके पर दो नए उत्पाद भी लॉन्च किए गए:

  1. सेन्ज़ स्कैन (Senze Scan): एक उन्नत परीक्षण उपकरण।
  2. आपातकालीन आहार (Aapatkaleen Aahar): संकट के समय के लिए पोषण समाधान।

डॉ. सिंह ने “वॉर्मेस्ट सम्मेलन” (मार्च 2025) और “अर्थ25 सम्मेलन” (नवंबर 2025) के आयोजन की घोषणा की। उन्होंने एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जहां सीएसआईआर-आईआईटीआर की शोध क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया।

अपने संबोधन में डॉ. सिंह ने कहा, “सीएसआईआर-आईआईटीआर पिछले छह दशकों से पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर काम कर रहा है। एक स्वस्थ समाज ही एक सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकता है।” उन्होंने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तहत संस्थान की भूमिका को रेखांकित किया और वैज्ञानिकों से समाज के सभी वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करने का आह्वान किया।

आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी हितधारकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हीरक जयंती केवल अतीत की उपलब्धियों को देखने का समय नहीं है, बल्कि भविष्य की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने का भी अवसर है।” उन्होंने डॉ. सिंह का संस्थान में समय देने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद किया।

कार्यक्रम में सीएसआईआर की लखनऊ स्थित सहयोगी प्रयोगशालाओं के निदेशक—डॉ. राधा रंगराजन (सीडीआरआई), डॉ. अजित शाशनी (एनबीआरआई), और डॉ. प्रबोध त्रिवेदी (सीमैप)—ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

यह कार्यक्रम सीएसआईआर-आईआईटीआर की वैज्ञानिक उपलब्धियों और इसके उज्ज्वल भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बना।

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