
गोमती नगर में सेवा भारती का प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

युवाओं को मिला कौशल, समाज को मिला समर्पण का संदेश

दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध सेवा भारती द्वारा गोमती नगर, लखनऊ में सम्पन्न हुए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम ने सेवा और कौशल, दोनों का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रांत प्रचारक कौशल जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “सेवा को कभी भी स्टेटस या अहंकार का साधन नहीं बनाना चाहिए, बल्कि इसे मातृ सेवा के रूप में स्वीकार करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि सेवा ही मनुष्य का परम धर्म है और जब तक सेवा के भाव से कार्य नहीं किया जाता, तब तक राष्ट्र की शक्ति संपूर्ण रूप से खड़ी नहीं हो सकती।
कौशल जी ने अपने प्रेरक संबोधन में स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का स्मरण कराते हुए कहा कि विवेकानंद जी ने सेवा को ही राष्ट्रोत्थान का आधार माना था। गीता का उल्लेख करते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण के वचनों को उद्धृत किया कि “कर्म करो, फल की इच्छा किए बिना”— यही राष्ट्र निर्माण की मूल भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा का भाव भारत की आत्मा है और यदि प्रत्येक युवा अपने कौशल को सेवा से जोड़ ले तो विश्व में भारत का स्थान और ऊँचा होगा।
विनय खण्ड, गोमती नगर स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में ‘समर्थ भारत’ (भाऊराव देवरस सेवा न्यास) के मार्गदर्शन और सेवा भारती पूरब भाग के प्रयास से यह दो महीने का प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। इस प्रशिक्षण में 20 अभ्यर्थियों ने ए.सी., फ्रिज, आर.ओ. और वाशिंग मशीन रिपेयरिंग की विशेषज्ञता हासिल की। प्रशिक्षण का आरम्भ प्रतिदिन गायत्री मंत्र और समापन कल्याण मंत्र से हुआ, जिससे तकनीकी शिक्षा में आध्यात्मिक ऊर्जा का समावेश हुआ।
कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षार्थियों से लिखित और मौखिक परीक्षा भी ली गई तथा उनकी क्षमताओं का वास्तविक परीक्षण किया गया। प्रशिक्षुओं को शीघ्र ही मित्सुबिशी कम्पनी में इण्टरनशिप का अवसर मिलेगा, जो न केवल उनके भविष्य के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है।
इस अवसर पर प्रभात अघोलिया (भाग प्रांत संचालक), देवेंद्र अस्थाना (प्रांत सेवा प्रमुख), पुष्कर केसरवानी (विभाग अध्यक्ष, सेवा भारती), राकेश कुमार (समर्थ भारत अभियान), सुधीर कुमार गुप्ता (महामंत्री, सेवा भारती पूरब), विवेक राय (केन्द्र प्रमुख, समर्थ भारत), प्रशांत भाटिया और जितेंद्र अग्रवाल सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इनके साथ बड़ी संख्या में समाज के लोग भी शामिल हुए और कार्यक्रम की गरिमा में वृद्धि की।
इस पूरे प्रकल्प में सेवा भारती पूरब भाग की भूमिका सराहनीय रही। श्री सुधीर गुप्ता ने निरंतर केन्द्र की संभाल करते हुए कई गणमान्य व्यक्तियों को प्रकल्प दर्शन कराया और आर्थिक सहयोग भी जुटाया। डॉ. विवेक ने केन्द्र प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और बच्चों की संख्या बढ़ाने में अहम योगदान दिया। वहीं ट्रेनर संजय कुमार यादव ने अपने कौशल से व्यावहारिक और मौखिक प्रशिक्षण को सार्थक बनाया।
अंततः यह कार्यक्रम केवल प्रमाणपत्र वितरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक जीवंत संदेश बनकर सामने आया कि सेवा और कौशल—दोनों ही राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। कौशल जी के शब्द आज के युवाओं के लिए स्पष्ट दिशा हैं: “सेवा ही मातृभक्ति है, और मातृभक्ति से बड़ा कोई धर्म नहीं।”
