“स्वाभिमान की लौ कभी बुझने मत देना—राजनाथ सिंह

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। पश्चिम विधानसभा के वरिष्ठ कार्यकर्ता जनसंवाद कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जब मंच पर पहुँचे तो वातावरण एकाएक गंभीरता और उत्साह से भर उठा। उन्होंने शुरुआत ही एक ऐसे वाक्य से की जिसने हर कार्यकर्ता के मन में गूंज पैदा कर दी—“काम करने का अधिकार हमें परमात्मा ने दिया है, और ईमानदार कर्म ही मनुष्य का असली धर्म है।” यह वाक्य जैसे ही सभा में फैला, लोगों की आँखों में एक नई चमक दिखाई देने लगी।

इसके बाद उन्होंने मान-सम्मान और स्वाभिमान की जिस गरिमा को शब्द दिए, उसने माहौल को और भी ऊँचा उठा दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी पूंजी उसका स्वाभिमान है—“इंसान बहुत कुछ सह सकता है, लेकिन अपने स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं कर सकता।” उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि मर्यादा वह शक्ति है जो साधारण मनुष्य को पुरुषोत्तम बना देती है। यह बातें जैसे-जैसे आगे बढ़ती गईं, वैसे-वैसे सभा में सन्नाटा गहराता गया—सम्मान का, आदर का, और सीख का।

जब उन्होंने अपने संगठनात्मक सफर की चर्चा छेड़ी तो हर युवा कार्यकर्ता का सिर अनायास ही उठ गया। उन्होंने कहा—“मैं युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुँचा हूँ। संगठन निष्ठा को पहचानता है। आप कौन-सी ऊँचाई पर पहुँचेंगे, यह आज किसी को नहीं पता, लेकिन मेहनत कभी अनदेखी नहीं रहती।” यह सुनते ही कार्यकर्ताओं में एक हलचल सी दौड़ गई, मानो हर किसी के भीतर उम्मीद की नई ज्योति जल उठी हो।

इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया कि देश में शायद ही कोई संसदीय क्षेत्र ऐसा बचा हो जहाँ उनकी सभा न हुई हो। बिहार चुनाव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा—“वहां के लोग बताते हैं कि मैं किसी विधानसभा में चौथी बार पहुँचा हूँ।” यह सिर्फ अनुभव नहीं, बल्कि जनता से उनके गहरे संबंध का प्रमाण था, जिसने कार्यकर्ताओं में भी संबंधों की उस शक्ति को महसूस कराया जिसे राजनीति का आधार कहा जाता है।

बिहार की ऐतिहासिक जीत पर उनकी आवाज़ में गर्व का स्वाभाविक उभार दिखाई दिया। उन्होंने कहा—“बिहार ने कमाल कर दिया। जाति के समीकरण टूट गए, धर्म की दीवारें ढह गईं। जनता ने विकास और भरोसे को चुना, और सभी पुराने रिकॉर्ड मिटा दिए।” इस एक वाक्य ने माहौल में वह अकंपित ऊर्जा भर दी जिससे साफ लग रहा था कि कार्यकर्ता आगामी चुनौतियों के लिए स्वयं को और भी दृढ़ महसूस कर रहे हैं।

इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया में भारत का मस्तक ऊँचा करने की बात कही। उनकी आवाज़ में वह गौरव साफ झलक रहा था जब उन्होंने कहा—“एक समय था जब विदेशों में हमारी बात को गंभीरता से नहीं सुना जाता था। लेकिन आज भारत बोलता है, तो दुनिया ध्यान से सुनती है।” यह शब्द जैसे ही सभा में गूँजे, वहाँ उपस्थित हर व्यक्ति के भीतर राष्ट्रीय गौरव की एक तीखी धारा दौड़ गई।

लखनऊ के विकास पर बोलते हुए उन्होंने गहरी तसल्ली और उत्साह के साथ कहा—“पिछले दस वर्षों में मैंने लखनऊ के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। आज ब्रह्मोस मिसाइल इसी धरती पर बन रही है और इंडोनेशिया ने इसे खरीदने की इच्छा जताई है।” यह घोषणा जैसे ही आई, सभा में गर्व की एक अद्भुत लहर उठी, मानो हर कार्यकर्ता खुद उस उपलब्धि का सहभागी हो। उन्होंने यह भी बताया कि शहर में अधिक से अधिक जिम और फिटनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं ताकि लखनऊ की जनता स्वस्थ और सशक्त बने।

कार्यक्रम से पहले राजनाथ सिंह ने 95 वर्षीय वरिष्ठ चिकित्सक और मेडिकल कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. ज्ञान प्रकाश गुप्ता को सम्मानित किया। डॉ. गुप्ता मात्र दस रुपये में जरूरतमंदों का उपचार करते हैं। उनकी यह सेवा भावना सुनकर सभा में एक भावुक खामोशी छा गई—यह खामोशी श्रद्धा की थी। साथ ही पत्रकार रजत सिंह और मूर्तिकार बबलू यादव को भी सम्मानित किया गया, जिससे कार्यक्रम में कला, सेवा और सामाजिक संवेदनशीलता का अद्भुत संगम दिखाई दिया।

मीडिया प्रभारी प्रवीण गर्ग ने बताया कि इस महत्वपूर्ण सभा में महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी, एमएलसी मुकेश शर्मा, महापौर सुषमा खर्कवाल, अंजनी श्रीवास्तव, प्रदेश मंत्री शंकरलाल लोधी, उपाध्यक्ष जय शुक्ला, सत्येंद्र सिंह, मंडल अध्यक्ष दीप प्रकाश, विमल चौधरी, संदीप तिवारी और सुरेंद्र पांडे समेत अनेक कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम की गंभीरता और प्रभाव को और बढ़ा दिया।

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