
“जातीय नहीं, राष्ट्रीय हिंदू समाज बना रहा है संघ”

“हिंदू समाज बार-बार सोता है, संघ बार-बार जगाता है”

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को लखनऊ के स्मृति उपवन में आयोजित ‘शाखा टोली एकत्रीकरण’ कार्यक्रम में कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत पहले से ही एक हिंदू राष्ट्र है। संघ का कार्य, जातियों में बंटे हुए हिंदू समाज को एकजुट करके राष्ट्रभक्त, सेवाभावी और समरस हिंदू बनाना है।
उन्होंने अपने भाषण में इतिहास की गहराई से उठाए कई विचारों को साझा करते हुए कहा, “हिंदू समाज को बार-बार जगाना पड़ता है। जब-जब वासनाएं बढ़ीं, जब-जब अधर्म छाया, तब-तब देवशक्तियों ने अवतार लिया। डॉ. हेडगेवार ने यही कार्य किया — फिर से उस राष्ट्रचेतना को जगाया, जिसे समाज भूल बैठा था। संघ उसी चेतना को अब शताब्दियों तक जीवित रखने का कार्य कर रहा है।”
एक लाख के आसपास दैनिक शाखाएं: संघ का राष्ट्र निर्माण मॉडल
होसबाले ने कहा, “आज पूरे भारत में लगभग एक लाख के आसपास नित्य शाखाएं लग रही हैं। यह केवल संगठन नहीं, यह जीवनशैली है। शाखा में जाना कठिन है, पर असंभव नहीं। शाखा से निकलने वाला स्वयंसेवक देशभक्ति, सेवा और नेतृत्व का जीवंत उदाहरण होता है। जब देश पर आपदा आती है, तब यही स्वयंसेवक सड़कों पर उतर कर सैनिकों की तरह सेवा करते हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारा सपना केवल भारत को ताकतवर बनाना नहीं है, भारत को मंगलकारी बनाना है। भारत किसी को दास बनाने के लिए नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में कल्याण लाने के लिए उठेगा।”
हिंदू समाज के उत्थान की आवश्यकता: क्यों बार-बार संघ की जरूरत पड़ती है
होसबाले ने स्पष्ट किया कि भारत में कई संस्थाएं अलग-अलग ढंग से हिंदू समाज को जागृत करने में लगी हैं, लेकिन फिर भी संघ की आवश्यकता इसलिए बनी रहती है क्योंकि हिंदू समाज बार-बार सो जाता है। उन्होंने कहा, “हमारा काम है उसे बार-बार जगाना, और जब तक समाज पूर्णरूपेण राष्ट्रहित में समर्पित न हो जाए, तब तक यह कार्य चलता रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “जिस देश का निर्माण करना है, वह केवल कानूनों से नहीं, बल्कि चरित्र से होता है। संघ वह चरित्र निर्माण की प्रक्रिया है, जो पीढ़ियों तक जाती है।”
संघ एक आंदोलन नहीं, चेतना है
होसबाले ने अपने संबोधन के अंत में युवाओं से अपील की — “देश ने हमें सब कुछ दिया है, अब हमें भी कुछ देना सीखना चाहिए।” उन्होंने बताया कि संघ किसी राजनीतिक लक्ष्य से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नींव पर खड़ा एक आध्यात्मिक-सामाजिक आंदोलन है, जो ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ के मंत्र को लेकर चल रहा है।
इससे पूर्व मंच के सामने के वृहद मैदान में ध्वजारोहण, प्रार्थना, प्रदक्षिणा, सामूहिक विषय प्रदर्शन, प्रदर्शन घोष, सामूहिक घोष, सामूहिक दंड योग, सामूहिक व्यायाम योग, सामूहिक आसन, सामूहिक गणगीत, सुभाषित, मंच परिचय, अमृत वचन एवं एकलगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत संघचालक सरदार स्वर्ण सिंह, सह प्रांत संघचालक सुनीत खरे, प्रांत प्रचारक कौशल, सह प्रांत प्रचारक संजय, इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय, संयुक्त क्षेत्र के कुटुंब प्रबोधन प्रमुख ओमपाल सिंह, संयुक्त क्षेत्र ग्राम विकास प्रमुख वीरेंद्र सिंह, क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख राजेंद्र, क्षेत्र के धर्म जागरण प्रमुख अभय, क्षेत्र के व्यवस्था प्रमुख जयप्रकाश, क्षेत्र कुटुंब प्रबोधन प्रमुख अशोक उपाध्याय, सह प्रांत कार्यवाह डॉ. अविनाश, प्रांत प्रचारक प्रमुख यशोदानंदन, प्रांत के संपर्क प्रमुख गंगा सिंह, सामाजिक समरसता गतिविधि के सह प्रांत संयोजक राजकिशोर, प्रांत के सह संपर्क प्रमुख डॉ. हरिनाम सिंह, विभाग कार्यवाह अमितेश, सह विभाग कार्यवाह बृजेश पांडेय, सह विभाग कार्यवाह पंकज एवं विभाग प्रचारक अनिल, पूरब भाग संघचालक प्रभात ,पूरबभाग कार्यवाह ज्योति प्रकाश, पूरबभाग प्रचारक कमलेश,प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।