
दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ, महर्षि नगर।
महर्षि नगर परिसर में आयोजित 24 कुण्डीय दिव्य गायत्री महायज्ञ आज अत्यंत श्रद्धामय वातावरण में पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हुआ। यज्ञ की यथार्थ आध्यात्मिक गरिमा उस समय और अधिक प्रखर हो उठी जब शांतिकुंज, हरिद्वार से पधारी ब्रह्मवादिनी बहनों ने मंच से भारतीय संस्कृति के मूलाधार—संस्कार—की अनिवार्य भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि राष्ट्र को पुनः तेजोमय बनाना है तो संस्कारों का पुनर्जागरण अपरिहार्य है।
ब्रह्मवादिनी बहनों ने स्पष्ट कहा कि वर्तमान समय की विकट चुनौतियों का समाधान किसी बाह्य साधन में नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति के उस आंतरिक आलोक में निहित है जो मनुष्य को विचार, चरित्र और व्यवहार—तीनों स्तरों पर उन्नत बनाती है। उन्होंने वत्सल भाव से उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि संस्कार ही वह आधारशिला हैं जिस पर राष्ट्र, समाज और परिवार की स्थायी शक्ति निर्मित होती है।
कार्यक्रम के मध्य में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित सप्तऋषि बाल संस्कारशालाओं तथा मुक्ति फाउंडेशन से जुड़े बाल-अभ्यर्थियों को सम्मानित किया गया। इन नन्हे प्रतिभागियों ने अपने उत्कृष्ट अनुशासन, मूल्यनिष्ठ आचरण और यज्ञीय वातावरण में दीर्घकालीन सहभागिता के माध्यम से जनसमुदाय को प्रफुल्लित किया।
यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात ब्रह्मवादिनी बहनों की वंदनापूर्ण विदाई अत्यंत भावभीने स्वरूप में सम्पन्न हुई। वातावरण में भक्ति, करुणा और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत समन्वय उपस्थित था—मानो यज्ञ की वेदी से उठता दिव्य धूप-धुआँ आकाश तक संदेश भेज रहा हो कि युग परिवर्तन की आधारशिला संस्कारों से ही सुस्थापित होती है।
कार्यक्रम की सार्थकता को अभिव्यक्त करते हुए मंच संचालिका श्रीमती रीता सिंह ने समस्त यज्ञ-व्यवस्थापकों, मीडिया-प्रतिनिधियों, पुलिस प्रशासन तथा उपस्थित भक्तजन समुदाय के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे दिव्य आयोजनों का उद्देश्य मात्र अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्यता का पुनर्जीवन है।
आयोजक मण्डल ने कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु कृतज्ञता प्रकट करते हुए आगामी दिनों में भी संस्कार-वर्धक अध्यात्म-आधारित जनजागरण जारी रखने का संकल्प दोहराया।
