गुरु तेगबहादुर जी ने भारत की संस्कृति एवं धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया: मुख्यमंत्री
हरिंद्र सिंह/डीडी इंडिया न्यूज
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज यहां श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी के 400वें प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस पावन अवसर पर उन्होंने खालसा पंथ के अनुयायियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी ने भारत की संस्कृति एवं धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। सत्य, न्याय और धर्म के लिए दिया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। कोई भी भारत के धर्म और संस्कृति को रौंदकर लम्बे समय तक इस देश पर राज नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि सिख धर्मगुरुओं का त्याग और बलिदान न केवल इतिहास में दर्ज है, बल्कि आज भी यह हर भारतीय के मन में श्रद्धा और सम्मान का नया भाव पैदा करता है। उन्होंने कहा कि सत्य, धर्म और न्याय से विचलित न होना ही खालसा पंथ का उद्देश्य था और यही उसकी पहचान भी है। खालसा पंथ के अनुयायियों ने सदैव अत्याचार का डटकर सामना किया है। आज विश्व भर में मौजूद सिख समाज के लोग अपने इन मूल्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। यह पंथ स्वावलम्बन और स्वाभिमान को पुष्ट करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु तेगबहादुर ने कश्मीर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया। जब कश्मीरी पण्डितों का एक प्रतिनिधिमण्डल गुरु तेगबहादुर से मिला एवं उनसे धर्म को बचाने का आग्रह किया तो धर्म की रक्षा करते हुए गुरु तेगबहादुर ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान के कारण कश्मीर सुरक्षित हो पाया था। खालसा पंथ का शौर्य, त्याग और पराक्रम का लम्बा इतिहास है। यह इतिहास हमें गौरव और सम्मान की अनुभूति कराता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ के यहियागंज स्थित गुरुद्वारे में गुरु श्री तेगबहादुर साहिब जी और गुरु गोविन्द सिंह से कई स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। यह वही ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जहां स्वयं गुरु तेगबहादुर जी महाराज तथा गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने प्रवास किया था। यह गुरुद्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर है। नई पीढ़ी को इसकी महत्ता से अवगत कराना होगा। उन्होंने कहा कि इस पवित्र गुरुद्वारे में उन्हें स्वयं श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को मत्था टेकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित ‘महान कीर्तन दरबार’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर किया गया था। सिख पंथ से जुड़ा हुआ कोई आयोजन पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित किया गया था। धर्म और राष्ट्र पर जब भी संकट आया, सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया। मुख्यमंत्री जी ने गुरु गोबिन्द सिंह जी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुःखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा था-‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों-साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री आवास पर सम्पन्न हुआ था। गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों तथा माता गुज़री जी की शहादत अधिकारों, सत्य व धर्म की रक्षा का प्रेरक उदाहरण है। देश और धर्म की रक्षा के लिए सिख गुरुओं के बलिदान का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह अत्यन्त प्रेरणादायी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु-शिष्य परम्परा केवल सिखों के लिए ही नहीं, यह परम्परा प्रत्येक भारतीय के लिए अर्थ रखती है। हर भारतीय सिख परम्परा के लिए सम्मान का भाव रखता है और इस परम्परा पर गौरव की अनुभूति करता है। यह भक्ति की शक्ति है, जो लोगों को सद्मार्ग पर चलने तथा धर्म पर आंच आने पर सत्य के संधान हेतु प्रेरित करती है। यही सिख परम्परा भी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरुनानक देव जी से प्रारम्भ हुई इस परम्परा में गुरु गोविन्द सिंह जी तक शस्त्र और शास्त्र का अद्भुत समन्वय दिखता है। शांतिकाल में शास्त्रों के अध्ययन, भजन, कीर्तन इत्यादि के माध्यम से मानवता की सेवा का मार्ग सिख गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशस्त हुआ। भक्ति, शक्ति, पुरुषार्थ तथा परिश्रम में प्रत्येक सिख अग्रणी रहता है। यह समाज अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से अपना स्थान बना रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिख समाज की प्रगति और सफलता में गुरु कृपा का भी योगदान है। भारत की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाये रखने में सिख धर्मगुरुओं की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया के नक्शे पर ऐतिहासिक गुरुद्वारों को लाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 10 सिख गुरुओं सहित सभी क्रान्तिकारियों तथा स्वाधीनता संग्राम सेनानियों जिनके शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान से भारत स्वाधीन हुआ, भारत की धर्म और संस्कृति सुरक्षित हुई, उन सबके प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव रखते हुए उन्हें पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए हम सब अहर्निश कार्य कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। इससे आने वाली पीढ़ी को उनके बलिदान पर आत्मगौरव की अनुभूति हो।
कार्यक्रम के दौरान आयोजकों द्वारा मुख्यमंत्री जी को गुरु तेगबहादुर जी का चित्र, अंगवस्त्र तथा तलवार भेंट की गयी।