बलिया बलिदान दिवस’ में मुख्यमंत्री हुए शामिल” जनता को दिया संदेश

दैनिक इंडिया न्यूज

मुख्यमंत्री ने 06 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व उनके
आश्रितों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया

बलिया का अपना एक इतिहास, देश को आजाद कराने के लिए जिस तेवर की आवश्यकता थी, वह बलिया के इतिहास में देखने को मिलती है: मुख्यमंत्री

बिस्तार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि बलिया का अपना एक इतिहास है। आजादी के बाद देश के विकास के लिए जिस अनुशासन की आवश्यकता थी, वह बलिया ने हमेशा दिखाया है। देश को आजाद कराने के लिए जिस तेवर की आवश्यकता थी, वह बलिया के इतिहास में देखने को मिलती है। महान क्रान्तिकारी मंगल पाण्डेय ने बैरकपुर छावनी में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जलाई। वे बलिया की ही धरती के लाल थे। यह लड़ाई लगातार चलती रही।


मुख्यमंत्री जी आज जनपद बलिया में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में वीर बलिदानी मंगल पाण्डेय की धरती पर जन्में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में बलिया में स्वतंत्र सरकार के गठन की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित ‘बलिया बलिदान दिवस’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने जिला कारागार में अमर शहीद राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद मुख्यमंत्री जी ने पुलिस लाइन परेड ग्राउण्ड में आयोजित जनसभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम नायक मंगल पाण्डेय व महान सेनानी चित्तू पाण्डेय के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्हांेने जनपद बलिया के 06 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व उनके आश्रितों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि महान सेनानियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। हम सबका सौभाग्य है कि आजादी के योद्धाओं के दर्शन हो रहे हैं।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जब पूरा देश जुटा है, इस अवसर पर मुझे बलिया के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक बलिदान दिवस पर आने का सुअवसर मिला है। महात्मा गांधी ने 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का आह्वान दिया था, तब बलिया के महान सेनानी चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में बलिया को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया था। चित्तू पाण्डेय यहां के प्रथम कलेक्टर तथा महानंद मिश्र पुलिस कप्तान बने थे, जिन्होंने कई दिन तक बलिया की व्यवस्था को चलाया। यहां के क्रान्तिकारियों ने हल, कुदाल, फावड़ा आदि से ही आजादी की लड़ाई लड़ी थी और क्रांतिकारियों को जेल से छोड़ने पर अंग्रेजों को विवश कर दिया था।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने यहां पर जुल्म ढाया। यहां के सुखपुरा, बांसडीह, रसड़ा, नरही, चौरवां, चितबड़ागांव आदि स्थानों पर 84 क्रान्तिकारियों को निर्ममतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया था। चित्तू पाण्डेय, महानन्द मिश्र, राधामोहन सिंह, जगन्नाथ सिंह, रामानन्द पाण्डेय, राजेश्वर त्रिपाठी, उमाशंकर, विश्वनाथ, मर्दाना, विश्वनाथ चौबे आदि को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल में डाल दिया था। यहां के लोगों का बलिदान और त्याग बलिया को नई पहचान देता है। बलिया यहीं पर चुप नहीं रहा। आजादी की लड़ाई के बाद विकास के लिए तन्मयता के साथ बलिया अपने आपको आगे बढ़ाता रहा है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा व सरयू के बीच बसा बलिया पौराणिक व पवित्र स्थल का प्रतीक है। वही पवित्रता यहां की क्रांति के रूप में झलकती है। आजादी के बाद एक बार फिर जब देश के लोकतंत्र को कुचलने का कार्य कुछ लोगों ने किया था, तब भी बलिया ने हुंकार भरी थी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में लड़ाई को बढ़ाने का काम किया था। आम आदमी के मौलिक अधिकार, उसकी सुरक्षा व स्वावलम्बन के लिए आन्दोलन चला, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर जी का भी योगदान अविस्मरणीय रहा।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आजादी का अमृत महोत्सव है। 12 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने साबरमती आश्रम, गुजरात से देश की आजादी के अमृत महोत्सव के 75 सप्ताह के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इसे 15 अगस्त, 2023 तक आगे बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री जी ने भारत को दुनिया की महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए हमारे सामने पांच संकल्प रखे हैं, प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कार्य करें, तो यह संकल्प पूरे किये जा सकते हैं। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के नियंत्रण व प्रबन्धन में यह साबित हुआ है, जब भारत ने मजबूती के साथ लड़ते हुए महामारी को पस्त कर दिया। पूरी दुनिया में भारत को उदाहरण के रूप में देखा जाता है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी को आजादी के अमृतकाल में अच्छा कार्यक्रम बनाना है और विकास के बारे में सोचना है। सभी अपने कर्तव्यों को लेकर आगे बढे़। उन्होंने कहा कि आज बिना भेदभाव के सबको योजनाओं का लाभ मिल रहा है। प्रत्येक गरीब को आवास, शौचालय, राशन के साथ हर गांव में बिजली और अन्य सुविधाएं पहुंचायी जा रही है। आने वाले समय में भारत दुनिया के नेतृत्वकर्ता के रूप में होगा। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि परिवहन मंत्री श्री दयाशंकर सिंह बलिया के ही हैं, इसलिए बलिया परिवहन के क्षेत्र में और अच्छा होना चाहिए। यहां बेहतर कनेक्टिविटी होनी चाहिए। उन्होंने श्री सिंह को जिम्मेदारी देते हुए कहा कि बलिया का बस स्टेशन अच्छा हो। यहां इलेक्ट्रिक बसें चलवाएं। बलिया नगर का दायरा बढ़ाने के साथ इसके चहुंमुखी विकास के लिए सभी जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर काम करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बलिया में मेडिकल कॉलेज तीन वर्ष पूर्व बन जाना चाहिए था, परन्तु जमीन नहीं मिलने के कारण नहीं बन पाया है। मेडिकल कॉलेज के साथ यहां की मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने के कार्यों को गति देने के लिए ही वे मुख्य सचिव को साथ लेकर आये हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी ओर से जहां भी सहयोग की आवश्यकता होगी, वे तत्परता से खडे़ रहेंगे। बलिया से लखनऊ जाने में और कम समय लगे, इसके लिए लिंक एक्सप्रेस-वे से बलिया को जोड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग द्वारा प्रकाशित ‘उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम बलिया‘ नामक पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने अमर सेनानियों के पराक्रम व बलिदान की वीरगाथा पर आधारित इस पुस्तक के लेखक डॉ0 शिवकुमार कौशिकेय को वर्ष 1857 से 1947 तक के इतिहास से अवगत कराने के लिए उनकी सराहना भी की। मुख्यमंत्री जी ने स्वतंत्रता संग्राम की हर एक चिंगारी से जुड़ी हर एक तहसील एवं गांवों के इतिहास लेखन की आवश्यकता पर बल दिया।


कार्यक्रम में परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री जी का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि हमारे महान सेनानियों को सम्मान दिलाने का कार्य केन्द्र व राज्य की सरकार कर रही है। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री श्री दानिश आजाद अंसारी, सांसद श्री वीरेंद्र सिंह मस्त, सांसद श्री रविन्दर कुशवाहा सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।

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