हरिंद्र सिंह/डीडी इंडिया न्यूज
उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग ग्रामीण परिवेश से निकलकर देश के विभिन्न शहरों व विदेशों में कार्यरत हैं। ग्राम में निवासरत व बाहर गए सुविधा सम्पन्न लोग अपने गाँव के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं, लेकिन कोई व्यवस्थित प्लेटफार्म उपलब्ध न होने की वजह से वांछित स्तर का सहयोग व योगदान प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
यदि कोई व्यक्ति, निजी संस्था किसी ग्राम पंचायत में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास व पंचायतीराज अधिनियम-1947 में प्रावधानित कार्यों को कराना चाहते हैं/करना चाहते हैं और कार्य की लागत की 60 प्रतिशत धनराशि वहन करने के इच्छुक हैं, तो शेष 40 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। निर्धारित आकार व प्रकार का शिलापट्ट/प्लेक सहयोग करने वाले व्यक्ति संस्था के प्रस्तावानुसार उस भवन अथवा अवस्थापना सुविधा के ऊपर यथोचित स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा।
‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि सोसाइटी’ का गठन किया जाएगा। इस सोसाइटी के अन्तर्गत गवर्निंग काउंसिल और सशक्त समिति बनाई जाएगी। गवर्निंग काउंसिल में मुख्यमंत्री जी अध्यक्ष एवं पंचायतीराज मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। इसके अतिरिक्त, सम्बन्धित विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सदस्य तथा अपर मुख्य सचिव, पंचायतीराज विभाग सदस्य सचिव होंगे। इसके साथ कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में सशक्त समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सम्बन्धित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सदस्य एवं निदेशक, पंचायतीराज उ0प्र0, सदस्य सचिव होंगे।
योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान की राशि यानि कि शेष 40 प्रतिशत या उससे कम राशि की व्यवस्था कार्य से सम्बन्धित विभागों के बजट प्रावधानों से की जाएगी।
‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि सोसायटी’ का पंजीकरण सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अन्तर्गत कराया जाएगा। सोसायटी का राज्य स्तर पर Escrow बैंक अकाउण्ट एवं जिला स्तर पर मातृभूमि योजना सोसायटी के अन्तर्गत अलग से बैंक अकाउण्ट खुलवाया जाएगा।
सोसायटी को 100 करोड़ की Corpus Fund उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका उपयोग किसी योजना हेतु राज्यांश के बजट की उपलब्धता न होने पर किया जाएगा व बजट उपलब्ध होने पर इसे Reimburse किया जाएगा। इस Corpus Fund के ब्याज से PMU के संचालन का व्यय भार वहन किया जा सकेगा।
इस योजना के अन्तर्गत दानकर्ता की इच्छा के अनुसार उसकी पसंद की एजेन्सी के माध्यम से कार्य कराया जाएगा। दानकर्ता की पंसद की एजेन्सी द्वारा दिये गये कार्य के नक्शे और DPR आदि कार्य से सम्बन्धित विभाग के सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। कार्य पूर्ण होने के बाद एजेन्सी के नियमों के अनुसार भुगतान करना होगा। दानकर्ता स्वयं भी कार्य करवा सकते हैं, परन्तु ऐसे मामले में सक्षम स्तर से DPR अनुमोदित होगी व भुगतान सीधा वेण्डर्स को किया जाएगा।
निर्माण कार्यों में से कोई भी कार्य यदि कोई सरकारी या प्राइवेट कम्पनी करवाना चाहती है, तो ऐसे कार्यों के लिए सरकारी सार्वजनिक उद्यम/निजी औद्योगिक इकाइयाँ कार्य की कुल लागत का 60 प्रतिशत राशि स्वयं और शेष 40 प्रतिशत राशि उस कम्पनी के CSR के माध्यम से सरकारी अनुदान में दे सकती हैं। अर्थात् इस योजना के तहत कोई भी सरकारी या प्राइवेट कम्पनी अपने CSR में से 40 प्रतिशत इन कार्यों के लिए दे सकेगी, जिसे सरकारी अनुदान के तौर पर माना जाएगा।
इस प्रस्ताव के तहत नया व्यय हेड प्राप्त करने, सरकारी संस्था/आउटसोर्स की सेवा प्राप्त करने, पी0एम0यू0 स्थापित करने, पंचायत सहायक की फीस के भुगतान, बैंक अकाउण्ट खोलने, प्रशासनिक खर्च एवं प्रचार-प्रसार के लिए व्यय आदि के लिए सरकार की स्वीकृति प्राप्त की जानी है। साथ ही, इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान करने होंगे और उसकी सैद्धान्तिक और प्रशासनिक स्वीकृति भी प्राप्त करनी होगी। उत्तर प्रदेश मातृभूमि सोसायटी का पंजीकरण भी कराया जाएगा।