सदन की कार्यवाही में बाधा दूर करने व संवाद की गुणवत्ता बढ़ाये जाने को लेकर देश के सभी पीठासीन अधिकारियों से वर्चुअल बैठक कर अपने सुझाव भेजने का आग्रह : विधानसभा अध्यक्ष

उक्त विषयक गठित समिति की संस्तुति, माननीय लोकसभा अध्यक्ष को भी की जायेगी प्रेषित

लखनऊ डीडी इंडिया न्यूज : उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा अपने विगत वर्षों के कार्यअनुभवों एवं विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं/विधान परिषदों के अध्यक्ष/सभापतियों से सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने की व संवाद की गुणवत्ता बढ़ाये जाने के लिए समिति की संस्तुति लोकसभा अध्यक्ष को प्रेषित करने हेतु एक वर्चुअल बैठक बुलाई गई।
बीते 14 अप्रैल को हुये इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न प्रदेशों के विधान सभाओं के अध्यक्षों/विधान परिषद के सभापतियों एवं अन्य विधान सभाओं सहित अन्य पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।

बैठक में विचार व्यक्त करते हुये दीक्षित ने कहा कि देश के सदनों में होने वाले व्यवधानों की समस्या पर विचार व्यक्त करते हुये संसदीय व्यवधानों को रोकने हेतु दिनांक 20 अगस्त, 2019 को लोकसभा में सम्पन्न पीठासीन अधिकारियों की बैठक में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति में रेबाती मोहन दास, अध्यक्ष त्रिपुरा विधानसभा, पी. धनपाल, अध्यक्ष तमिलनाडु विधानसभा, राणा के.पी. सिंह, अध्यक्ष पंजाब विधानसभा, एन.पी. प्रजापति अध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधानसभा, राजेन्द्र सूर्य प्रसाद त्रिवेदी एवं श्री चरणदास महन्त, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा को सदस्य नामित किया है और इस समिति का मुझे अध्यक्ष मनोनीत किया गया था।

दीक्षित ने सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए गठित समिति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अन्य विधान सभाओं की तरह उत्तर प्रदेश में भी राज्यपाल के अभिभाषण पर हो-हल्ला, हाउस के वेल में जाकर कार्यवाही के संचालन में व्यवधान एवं निरंतर प्रश्नकाल को बाधित करना आदि की समस्याएं रही है। सदन के भीतर विचार-विमर्श प्रेमपूर्ण एवं प्रीतिपूर्ण हो और सदस्यगण अपनी-अपनी बात शालीनता और सुन्दर ढंग से रख सके इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ने समिति का गठन किया।

दीक्षित ने कहा कि सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए प्रकारांतर में बैठके हो चुकी है। सुझाव भी आए है। कोरोना महामारी के कारण बैठकों के आयोजन में कठिनाई के कारण कुछ विलम्ब अवश्य हुआ। समिति यथाशीघ्र अपने निर्णय को अंतिम रूप देते हुए लोकसभा अध्यक्ष को अपनी संस्तुति भेजेंगे। अध्यक्ष ने कहा कि इस बीच कई विधान सभाओं में चुनाव हुए जिसमें कई नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए है। उन्होंने देश के सभी विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्यों से आग्रह किया की सदनों में कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए गठित समिति के पास अपने-अपने सुझाव लिखकर भिजवाने की कृपा करें, जिससे व्यापक रूप से विचार कर निर्णय लेने का अवसर प्राप्त हो सके।

दीक्षित ने कहा कि समिति की संस्तुतियों में मुख्य रूप से सदन में बैठकों की न्यूनतम संख्या के प्रावधान पर विचार किया जाये। सदन की न्यूनतम बैठकों के सम्बंध में एक व्यापक नियम बनाया जाये। आवश्यक हो तो संविधान के अनुच्छेद 174 में आवश्यक संशोधन पर विचार किया जाये।
सदन की कार्यवाही में भाग लेने वाले सदस्यों का पार्टी लाइन का पालन करते हुये, राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के इशारे पर अपनी कार्यविधि का सदन में संचालन करते हैं। इससे अवरोध उत्पन्न होता है। इस सम्बंध में राजनीतिक दलों को विधायिका में अपने सदस्यों को अनुशासन के न्यूनतम मानकों को सुनिश्चित करने की सलाह दी जा सकती है। भारत के चुनाव आयोग को भी इस सम्बंध में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को एक सलाह जारी करने के तरीकों और साधनों पर विचार करने के लिए सलाह दिये जाने पर भी विचार किया जाये।
सदन में प्रश्नकाल की शुचिता बनाते हुए सभी पीठासीन अधिकारियों द्वारा विशेष रूप से बल देते हुये यह विचार-विमर्श किया गया कि विधानमंडल की संवैधानिक गरिमा बनाए रखने और नए सदस्यों को गहन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। वहीं पूर्व विधान सभा के अध्यक्षों व संसदीय व्यवस्था से जुड़े विशिष्ट लोगों का भी योगदान लिया ला सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया एवं शोसल मीडिया की भूमिका के बारे में भी गंभीरतापूर्वक विचार करते हुये समिति ने यह महसूस किया कि मीडिया, विधान सभा के गंभीर एवं सार्थक विषयों को प्रकाशन में स्थान न देकर व्यवधान करने वाली घटनाओं को विशेष स्थान दिया जाता है।
इस सम्बंध में प्रिंट मीडिया के लिए भारतीय प्रेस परिषद और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन से विचार-विमर्श कर एक आदर्श आचार संहिता बनाए जाने हेतु आवश्यक प्रावधान किया जा सकता है। वहीं विधान सभा की कार्यवाही का डायरेक्ट टेलीकास्टके बारे में भी विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया कि इससे भी व्यवधानों में रूकावट हो सकेगी। जनता अपने जन प्रतिनिधियों के कार्य एवं आचरण के आधार पर अपनी धारणा निर्धारित कर सकेगी। समिति के माननीय सदस्यों द्वारा इस बात पर भी सुझाव दिया गया कि प्रतिदिन के उपवेशन के अन्त में 30-35 मिनट का समय निर्धारित किया जाए जिसमें माननीय सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को सदन में प्रस्तुत कर सके। सदन के भीतर गरिमापूर्ण आचरएण करने वाले सदस्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ सदस्यों को पुरस्कार देने का भी विचार कर निर्णय लिया गया। पीठासीन अधिकारियों को विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों से परामर्श देने के लिए विशेष सत्र और संगोष्ठी की व्यवस्था पर भी विचार कर निर्णय लिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज बैठक म़ें समिति के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से समिति के द्वारा प्रस्तुत किए गए 9 सूत्रीय सुझावों पर अपनी सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह संस्तुति लोकसभा अध्यक्ष को यथाशीघ्र प्रेषित की जाएगी। इसे आगे होने वाले पीठासीन अधिकारियों को समिति में रखा जाएगा और उस पर सम्यक विचार करते हुये सदन की कार्यवाही में व्यवधान को रोकने हेतु समुचित कार्यवाही करने पर सहमति बन जाएगी। बैठक में प्रमुख सचिव, विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे उपस्थित रहे।

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