हरिंद्र सिंह/डीडी इंडिया न्यूज
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए सेक्टर्स को चिन्हित करते हुए तद्नुसार मैनपावर तैयार करनी होगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह उत्तर प्रदेश की ताकत भी है। इसलिए कृषि को लोगों के आर्थिक स्वावलम्बन का आधार बनाना होगा। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर फोकस करना होगा। परम्परागत खेती को तकनीक से जोड़ते हुए उत्पादकता बढ़ानी होगी। इसके लिए किसानों की कृषि सम्बन्धी गतिविधियों को विज्ञान से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि से सम्बन्धित गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा बड़ी संख्या में एफ0पी0ओ0 का गठन किया गया है। कृषि उत्पादों की स्टोरेज के लिए पूरे प्रदेश में कोल्ड चेन स्थापित की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समाज में हर्बल प्रोडक्ट्स की काफी मांग है। ऐसे में आयुष डॉक्टर कृषकों के साथ मिलकर जड़ी-बूटियों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाते हुए इसे लाभप्रद बना सकते हैं। इनसे बने उत्पादों का उपयोग वे स्वयं द्वारा स्थापित वेलनेस सेण्टरों में कर सकते हैं। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में लागू की गई प्रोक्योरमेण्ट पॉलिसी का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2017 से पहले राज्य में ऐसी कोई पॉलिसी नहीं थी, परन्तु राज्य सरकार द्वारा विगत पांच वर्षों में यह पॉलिसी लागू कर इस समस्या का समाधान किया जा चुका है। आज प्रदेश के दलहन, तिलहन, गन्ना, गेहूं, धान तथा आलू किसानों को एम0एस0पी0 का लाभ मिल रहा है। इस कारण आज उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को अच्छी सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। विगत पांच वर्षों में 22 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित की गई। सरकार के प्रयासों से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लोगों की सिंचाई समस्याओं का समाधान तो हुआ ही है, साथ ही पेयजल की भी सुविधा उपलब्ध हो रही है।