दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ। सुबह की राजधानी लखनऊ का यह हाल है मंगलवार को तकरीबन 4:00 बजे के आसपास एक गोवंश भटक कर या किसी भी कारण बस सेक्टर 12और 13 के बीच में कदम्ब पार्क के आसपास जोर-जोर से चिल्लाने लगा, स्थानीय कुछ महिलाओं ने रोटी खिलाने का प्रयास किया पर नहीं खाया ।काफी परेशान था जब मेरे को सूचना मिली मैं करीब करीब शाम 6 से 7 के बीच में मैं पहुंच गया, और काफी देर तक इंतजार किया इसका कोई मालिक या जिसका या जिस गाय का बछड़ा हो वह आकर ले जाए। जब इंतजार करते करते का काफी समय हो गया। और गाय के बछड़े को आवारा कुत्तोँ ने दौड़ाना सुरु कर दिए थे ,एक गोवंश के लिये भय हो रहा था कही गोवंश को काट न लें। मैंने 112 पर कॉल किया कॉल करने के कुछ अंतराल पर ही पीआरबीआ गई। पीआरबी के साथ में दो पुलिस के जवान थे। उन्होंने अपने नंबर से नगर निगम के किसी अधिकारी को फोन कर रहे थे लेकिन 7 से 8 बार कॉल करने के बाद भी फोन नहीं उठाया, मैंने सोचा मैं अपने नंबर से कॉल करूं तो शायद उठा लें, और मैं कॉल किया नगर निगम के अधिकारी ने फोन उठाया और चिल्लाया कि मेरा नंबर कहां से मिल गया, मैंने अपना परिचय दिया और कहा आपका+919335613117 नंबर पीआरबी के जवानों से मिला है। कॉल करने का मतलब यह है की गोवंश तड़प रहा है उसके रेस्क्यू हेतु आप से सिफारिश की गई है। कृपया आप उसको उचित स्थान पर भिजवाने की कृपा करें। नगर निगम के कर्मचारियों ने बोला मेरे ड्यूटी का टाइम खत्म है मैं इस समय कुछ नहीं कर सकता। मैंने कहा श्रीमान किसी और का नंबर दे दीजिए जो गोवंश को सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें। लेकिन उनका मिजाज गरम था पीआरबी के जवान ने भी रिक्वेस्ट किया तब उन्होंने कहा ,कि मैं पशु चिकित्सक का 9450500057नंबर देता हूं, वह इसको रिसीव करवा लेंगे थोड़ी देर बाद एक फोन आता है कि मैं डॉक्टर बोल रहा हूं ।और मैं तो घर आ गया हूं मैं अपने रेस्क्यू ड्राइवर का नंबर दे रहा हूं थोड़े देर में पहुंच जाएगा काफी देर इंतजार करने के बाद मैंने दोबारा रिक्वेस्ट किया श्रीमान अगर जल्दी हो सके तो भिजवा दीजिए, मुझे रात्रि की समाचार संकलन करना है इतने पर उन्होंने खरी खोटी सुनाया, की धमकी दिया और कहा कि तुम जानते नहीं हो मैं बीजेपी का हूं किसी के बाप का नौकर नहीं हूं, फिर मैंने वापस इस एरिया के पार्षद को मैंने फोन लगाया पार्षद 9415922898 उमेश सनवाल को कॉल किया सनवाल को भी बात करने की तमीज नही है। इतना खराब था की जितनी निंदा की जाए कम है।थोड़ी देर बाद पीआरबी 112 वापस आई और वह लोग डेढ़ घंटे और इंतजार किया की नगर निगम से कोई आ जाए पर नगर निगम से कोई नहीं आया एक तरफ मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं की प्रदेश में गोवंश हमारे लिए किसी संपदा से कम नहीं है दूसरी तरफ नगर निगम से जितने जुड़े लोग हैं उनकी स्थितियां इतनी खराब है की जो अति निंदनीय है।
अति तो तब हो गई पार्षद ने कहा निराश्रित जानवरों के देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं है पीआरबी 112 की है।
आखिर जो निराश्रित गोवंश है उनकी रखवाली कौन सा सरकारी डिपार्टमेंट करेगा यह आप सब तय करिए जब नगर निगम के अधिकारी और पार्षद जिम्मेदार पत्रकारों से बदतमीजी कर सकते हैं तो बाकी आम जनता से इनका रवैया कितना खराब हो सकता है ये निर्णय आप सबका है