बाहुबली विधायक अभय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 2010 के हमले के मामले में दाखिल SLP खारिज,

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद की खारिज

दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ /अयोध्या की गोसाईंगज विधानसभा से बाहुबली विधायक अभय सिंह को 2010 के जानलेवा हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इस केस में लखनऊ हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। यह फैसला जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनाया।

मामला 2010 में अयोध्या के महाराजगंज थाना क्षेत्र का है, जहां विकास सिंह ने अभय सिंह और उनके सहयोगियों पर हमला करने का आरोप लगाया था। FIR में हथियारों से हमले की बात कही गई थी, लेकिन गवाहों के विरोधाभासी बयानों के चलते मामला जटिल हो गया। बाद में केस अंबेडकरनगर की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया।

13 साल बाद मिली राहत, हाईकोर्ट में चला मामला

10 मई 2023 को अंबेडकरनगर की अदालत ने सबूतों के अभाव में अभय सिंह समेत अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले के खिलाफ विकास सिंह ने लखनऊ हाईकोर्ट में अपील की, जिससे मामले ने नया मोड़ लिया।

खंडपीठ में मतभेद, तीसरे जज ने सुनाया अंतिम फैसला

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने अभय सिंह को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई, जबकि न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव ने उन्हें बरी कर दिया। मतभेद के कारण मामला न्यायमूर्ति राजन राय को सौंपा गया। उन्होंने अभियोजन पक्ष की दलीलों को कमजोर मानते हुए 21 मार्च 2025 को अभय सिंह को दोषमुक्त करार दिया।

किन आधारों पर मिली राहत?

न्यायमूर्ति राजन राय ने अपने निर्णय में कहा कि FIR में हमले के समय, हमलावरों की संख्या और हथियारों को लेकर स्पष्टता नहीं थी। इसके अलावा, पीड़ित पक्ष ने अपने बयान कई बार बदले, जिससे संदेह उत्पन्न हुआ। अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में विफल रहा, जिसके चलते राहत दी गई।

राजनीतिक भविष्य पर भी असर

कानूनी प्रक्रिया के समानांतर अभय सिंह की राजनीतिक स्थिति भी चर्चा में रही है। फरवरी 2024 के राज्यसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी की लाइन से हटकर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था, जिसके कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद से उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं।

अब सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद उनके राजनीतिक कदम और स्पष्ट हो सकते हैं। वहीं, यदि फैसला उनके खिलाफ जाता, तो राजनीतिक भविष्य पर संकट गहराता।

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