जयपुर पुलिस द्वारा कमांडो के साथ अमानवीय व्यवहार पर सवाल
दैनिक इंडिया न्यूज़ ,जयपुर। में हाल ही में घटित एक घटना ने पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जम्मू-कश्मीर में तैनात एक सेवा कमांडो अरविंद को जयपुर पुलिस ने निर्वस्त्र कर बुरी तरह से पीटा। यह घटना तब हुई जब अरविंद ने घूस देने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने उसे पीटते हुए उसकी आत्म-सम्मान की धज्जियां उड़ाईं।
इस अमानवीय व्यवहार की खबर फैलने के बाद, अरविंद के साथी पुलिस अधिकारियों से शिकायत करने के लिए राजस्थान सरकार में मंत्री हर्षवर्धन से मिले। मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए थाने जाकर एसीपी को फटकार लगाई, लेकिन स्थानीय पुलिस अधिकारियों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या भारतीय पुलिस की मानसिकता में सुधार की कोई गुंजाइश है या फिर यह ब्रिटिश काल की पुलिस व्यवस्था की प्रतिकृति बनकर रह गई है।
इस प्रकार की घटनाओं के पीछे मूल कारण अक्सर पुलिस सुधार की कमी होती है। पुलिस की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने के लिए “मॉडल पुलिस एक्ट 2006” की आवश्यकता है। यह कानून पुलिस प्रशासन को सुधारने के लिए एक ठोस ढांचा प्रदान करता है, जिसमें पुलिस की जवाबदेही, कर्तव्यों की स्पष्टता, और नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
हालांकि इस कानून का मसौदा लंबे समय से तैयार है, कई राज्यों ने इसे लागू नहीं किया है। इसका मुख्य कारण आमतौर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और सिस्टम में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार का होना होता है। पुलिस सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाना आवश्यक है ताकि ऐसी अमानवीय घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके और पुलिस बल को सही दिशा में प्रशिक्षित किया जा सके।
सरकार को चाहिए कि वह पुलिस सुधार के लिए आवश्यक कानूनों को शीघ्र लागू करें और प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए। ऐसा करने से ही पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली में सकारात्मक बदलाव आ सकता है और नागरिकों की सुरक्षा एवं सम्मान की रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।