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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र मुख्यमंत्री के संबोधन के साथ प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने की ऐतिहासिक उपलब्धि को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आगामी 26 जनवरी, 2025 को भारतीय संविधान के लागू होने के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस विशेष अवसर को चिह्नित करते हुए सभी सदस्यों को बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की अध्यक्षता में तैयार किए गए मूल संविधान की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई गई है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान का प्रत्येक पृष्ठ भारत की संवैधानिक भावना और दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने सभी सदस्यों से अपील की कि वे मूल संविधान का अध्ययन करें ताकि वे इसके आदर्शों को समझ सकें और उन्हें अपने कर्तव्यों में शामिल कर सकें।
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विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पूरे देश में इसकी सकारात्मक चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चर्चा और परिचर्चा बेहद आवश्यक है। उन्होंने विपक्ष की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया और कहा कि विपक्ष को सकारात्मक दृष्टिकोण से सरकार का ध्यान जनहित के मुद्दों की ओर आकर्षित करना चाहिए।
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विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जनता से किए गए वादों को पूरा करे। उन्होंने खुशी जताई कि वर्तमान सरकार पिछले कई वर्षों से अपने वादों को धरातल पर उतारने का कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप विधानसभा की दर्शक दीर्घा को नया और आधुनिक स्वरूप दिया गया है। इससे न केवल विधानसभा की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, बल्कि दर्शकों के लिए बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
मुख्यमंत्री ने संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने को भारतीय लोकतंत्र का एक गौरवशाली अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह वर्ष हमें बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की अध्यक्षता में तैयार किए गए संविधान के आदर्शों की याद दिलाता है। उन्होंने सभी सदस्यों को प्रेरित किया कि वे संविधान की भावना को आत्मसात करें और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करें।
इस सत्र में मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के वक्तव्यों ने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार और विधानसभा लोकतंत्र के आदर्शों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।