गौशालाओं एवं पशुपालकों के आस पास नियमित करें सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव
धनञ्जय पाण्डेय
दैनिक इंडिया न्यूज़ मऊ।
अपर जिलाधिकारी भानु प्रताप सिंह की अध्यक्षता में पशुओं के लंपी स्क्रीन रोग के रोकथाम के संबंध में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बैठक संपन्न हुई।
बैठक के दौरान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा बताया गया कि प्रदेश के पश्चिमी लगभग 15 जनपदों में लंपी स्किन रोग बीमारी का प्रकोप गोवंश एवं महिषवंशीय पशुओं में हुआ है। जो एक विषाणु जनित रोग है।उन्होंने बताया कि यह बीमारी पशुओं में ही हो रहा है न की किसी व्यक्ति में इससे लोगों को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए जागरूकता की विशेष आवश्यकता है। यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी पशु में लंपी स्किन रोग का लक्षण दिखाई दे तो तत्काल संबंधित पशु चिकित्साधिकारी को अवश्य सूचित करें। जिससे बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के लक्षण पशुओं में पशु को तेज बुखार, आंख बंद नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गांठ आदि प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं। कभी-कभी संपूर्ण शरीर की चमड़ी विशेष रूप से सिर, गर्दन, थूथन, थनों व अंडकोष या योनीमुख के बीच के भाग पर गाठ के उभार बन जाते हैं। कभी पूरा शरीर गाठ से ढक जाता है। उन्होंने रोग प्रकोप से बचने हेतु बताया कि सर्वप्रथम निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशु को स्वस्थ पशु से अलग करें। पशुओं को सदैव साफ पानी पिलाएं।पशुओं के दूध को उबालकर पीएं।बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्ति को भी स्वस्थ पशुओं के बाड़े से दूर रहना चाहिए। पहले स्वस्थ पशुओं को चारा व पानी दे फिर बीमार पशुओं को दें।
अपर जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि इस रोग प्रकोप की जानकारी ग्रामीण स्तर पर देने की अति आवश्यक है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में पशु अधिक संख्या में पाले जाते हैं। उन्होंने कहा कि पशु की किसी भी दशा में मृत्यु होती है तो उसको गौशाला या घर पर देर तक न रखें जितना जल्दी हो सके उससे वैज्ञानिक विधि से दफनाए।उन्होंने बताया कि अन्य जनपदों से पशुओं को न लाया जाए, इसपर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध किये जाने को कहा।
उक्त अवसर पर समस्त पशु चिकित्साधिकारी, समस्त खंड विकास अधिकारी, समस्त ए0डी0ओ0 पंचायत सहित समस्त अधिशासी अधिकारी उपस्थित रहे।