संत डॉ. भरतदास के अकल्पनीय सहयोग को संस्कृतभारतीन्यास अध्यक्ष ने किया नमन

उदारता, आत्मीयता और आशीर्वाद से संस्कृत साधना को मिली नयी ऊंचाई

संस्कृतभारतीन्यास अवधप्रांत अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने जताया संत के प्रति कृतज्ञता भाव

दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ। अखिलभारतीय संस्कृतभारती प्रचारक गोष्ठी के सफल आयोजन के उपरांत संस्कृतभारतीन्यास अवधप्रांत के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने संत डॉ. भरतदास के प्रति गहन कृतज्ञता और आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वामी भरतदास की अकल्पनीय उदारता, आत्मीय सहयोग और दिव्य आशीर्वाद से यह आयोजन गरिमामय स्वरूप में सम्पन्न हो सका।

जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि संत के स्नेह, प्रेम और सेवा भाव ने समूचे आयोजन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने विशेष रूप से गोष्ठी में सहभागी कार्यकर्ताओं के लिए सहजता से उपलब्ध कराई गई आवासीय एवं भोजनप्रसाद सुविधाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था केवल महान संतों की कृपा से ही संभव है।

उन्होंने कहा, “हम सभी स्वामी भरतदास की करुणा, विशालहृदयता और प्रेरक नेतृत्व के लिए नमन करते हैं। उनका स्नेहाशीष हम सभी के लिए मार्गदर्शक प्रकाशपुंज है।”

इसके साथ ही जितेंद्र प्रताप सिंह ने पाकशाला के समस्त सेवकों, व्यवस्थापन से जुड़े अधिकारियों तथा स्टाफ की भी सराहना की, जिन्होंने तन-मन से सेवाभाव का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इन सभी के समर्पण से संस्कृत साधना का यह पावन कार्य सफलता के शिखर तक पहुंचा।

संस्कृतभारतीन्यास अवधप्रांत के अनुसार, संतों का आशीर्वाद ही संस्कृति और संस्कारों के प्रचार को चिरस्थायी बनाता है। यह आयोजन संस्कृत के प्रचार-प्रसार को नयी दिशा और संकल्प प्रदान करेगा।

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