रक्षाबंधन पर इंसानियत की जीत — जलालाबाद में रामअवध कुशवाहा ने दिखाया भाईचारे का असली रूप

दैनिक इंडिया न्यूज , जलालाबाद गाज़पुर। रक्षाबंधन का पर्व केवल राखी और मिठाई तक सीमित नहीं, बल्कि यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते, भरोसे और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। इस बार जनपद गाजीपुर के जलालाबाद में यह पर्व एक नई मिसाल बन गया — जहाँ इंसानियत ने धर्म और जात की सारी दीवारें तोड़ दीं।

कोटिया, जलालाबाद के अकबर हुसैन की बहू गुलबदन निशा की अचानक डिलीवरी के समय तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन और ब्लड चढ़ाने की जरूरत बताई। लेकिन समय तेजी से निकल रहा था और ब्लड मिलना मुश्किल होता जा रहा था।

ऐसे में सौहार्द बंधुत्व मंच के सदस्य कमाल अंसारी ने मदद की पुकार लगाई। इस पुकार का जवाब देते हुए समाजसेवी रामअवध कुशवाहा बिना एक पल गंवाए मऊ के शारदा नारायण अस्पताल पहुँचे और तुरंत एक यूनिट ब्लड दान किया। उनके साथ कई अन्य लोग भी ब्लड देने के लिए तैयार होकर अस्पताल पहुँचे।

यह घटना इतिहास के उस सुनहरे पन्ने की याद दिलाती है, जब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा की गुहार लगाई थी, और हुमायूं ने धर्म व सत्ता की सीमाओं को पार करते हुए बहन की रक्षा का वचन निभाया था।

रक्षाबंधन के दिन रामअवध कुशवाहा का यह कदम यही संदेश देता है —
इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है, और भाईचारा सबसे मजबूत रिश्ता।”

ऐसी कहानियाँ न केवल त्योहार के महत्व को बढ़ाती हैं, बल्कि हमें यह भी सिखाती हैं कि मदद का हाथ बढ़ाने के लिए दिल बड़ा होना चाहिए, पहचान नहीं।
रामअवध कुशवाहा जैसे लोग ही आज के असली फ़रिश्ते हैं, जो समाज को एकता, प्रेम और सेवा का रास्ता दिखाते हैं।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *