मुख्यमंत्री ने हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग की समीक्षा की, संत कबीर वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना को दी मंजूरी

डीआईएन/लखनऊ, 16 सितम्बर 2025।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अपने सरकारी आवास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के कार्यों की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों में वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया। यह योजना महान संत कबीर के नाम पर समर्पित होगी और संत कबीर वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना के रूप में लागू की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पारम्परिक हथकरघा और वस्त्र उत्पादों की समृद्ध धरोहर वाला राज्य है। यदि इसकी क्षमता का सही उपयोग किया जाए, तो प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दिलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि वैश्विक वस्त्र एवं परिधान बाजार वर्ष 2030 तक 2.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और भारत इसमें 8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ तेजी से उभर रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश की भागीदारी निर्णायक साबित हो सकती है।

बैठक में जानकारी दी गई कि उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष वस्त्र एवं परिधान निर्यातक राज्यों में शामिल है। वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ, जो देश के कुल निर्यात का लगभग 9.6 प्रतिशत है। वर्तमान में राज्य में लगभग 22 लाख लोग प्रत्यक्ष रोजगार के रूप में इस क्षेत्र से जुड़े हैं। वाराणसी, मऊ, भदोही, मीरजापुर, सीतापुर, बाराबंकी, गोरखपुर और मेरठ जैसे परम्परागत क्लस्टर इस क्षेत्र की पहचान बने हुए हैं।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि निवेश सारथी पोर्टल पर अब तक वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र से जुड़े 659 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनके लिए 1,642 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी और अनुमानित 15,431 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इसके फलस्वरूप 1,01,768 रोजगार अवसर सृजित होने की संभावना है। प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाएगा और इनमें कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, बटन, ज़िपर, लेबल, पैकेजिंग और वेयरहाउस जैसी सहायक इकाइयों की भी व्यवस्था होगी।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भूमि की पहचान और विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ाए जाएं। उन्होंने कहा कि योजना का क्रियान्वयन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) अथवा नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा। सरकार की ओर से सड़कों, बिजली और जलापूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जाएंगी। युवाओं के कौशल विकास और रोजगार सृजन को इस योजना का मुख्य लक्ष्य बताया गया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि संत कबीर ने अपने जीवन में श्रम, सादगी और आत्मनिर्भरता को सर्वोपरि माना। यही भाव इस योजना का आधार बनेगा, जिससे निवेश और रोजगार के साथ परम्परा और आधुनिकता का संतुलन स्थापित होगा।

बैठक में एक अन्य निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री ने पावरलूम बुनकरों की उत्पादन लागत कम करने और आय बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि बुनकरों से संवाद बनाकर उनकी अपेक्षाओं को समझा जाए। सरकार पहले से ही बुनकरों को सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है और अब पावरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुनकर परिश्रम और परम्परा के प्रतीक हैं और उनके हाथों से बना कपड़ा पूरी दुनिया में पहचान रखता है।

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