
दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:भारतीय फूड सप्लीमेंट मार्केट अभूतपूर्व गति से विस्तार कर रहा है। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, यह उद्योग वर्तमान में ₹17,000 करोड़ के मूल्य को पार कर चुका है और इसकी वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) लगभग 13% दर्ज की गई है। कोविड-19 महामारी के बाद उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य जागरूकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को लेकर गंभीरता बढ़ी है, जिसके चलते विटामिन, मिनरल और हर्बल सप्लीमेंट्स की मांग में तेज़ वृद्धि देखी गई है।
2033 तक ₹55,000 करोड़ का अनुमान
बाज़ार विशेषज्ञों का अनुमान है कि मौजूदा विकास दर जारी रही तो 2033 तक भारतीय फूड सप्लीमेंट मार्केट ₹55,000 करोड़ से अधिक का आकार ले सकता है। यह वृद्धि शहरीकरण, उपभोक्ताओं की बढ़ती आय, फिटनेस कल्चर और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के प्रसार से प्रेरित होगी।
फिटनेस और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन का योगदान
फिटनेस और जिम कल्चर के तेजी से बढ़ने ने प्रोटीन सप्लीमेंट्स और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन सेगमेंट को मज़बूत आधार दिया है। यह सेगमेंट अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी अपनी पकड़ बना चुका है।
विविधता और नवाचार
मार्केट में अब केवल सामान्य मल्टीविटामिन तक सीमित उत्पाद ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं की विशेष जरूरतों के अनुसार तैयार किए गए सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं। इनमें पौधे-आधारित प्रोटीन, पाचन स्वास्थ्य हेतु प्रोबायोटिक्स और त्वचा व बालों की देखभाल के लिए बायोटिन जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं।