सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी रेप के मुकदमें में ब्लैकमेल करने वाले गैंग को दिया बड़ा झटका

सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका को किया खारिज

दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्दोष लोगों को फर्जी रेप केस व अन्य गंभीर अपराधों के मुकदमे में फंसाकर ब्लैकमेल करने वाले गैंग को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सी.बी.आई. जांच के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है।

गौरतलब हो कि सी.बी.आई. जांच के आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता निक्की देवी की विशेष अनुमति याचिका पर न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति वी रामा सुब्रमण्यम ने सुनवाई की और सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण को हस्तक्षेप के योग्य न पाते हुए याचिका खारिज कर दी है।

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता निक्की देवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें रेप के मुकदमे में ट्रायल जल्द पूरी करने का निर्देश दिए जाने की मांग की थी।

इस मामले में अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे ने कोर्ट को अवगत कराया था कि दर्ज कराया गया यह मुकदमा सरासर फर्जी है और इस मामले में उनको भी घसीटा गया है जिसमें उनको, एक इसी प्रकार के फर्जी मुकदमे में फंसाए गए व्यक्ति की पैरवी करने से रोकने के लिए दर्ज करवाया गया है।

कोर्ट के समक्ष यह अवगत कराया गया कि जिले में एक ऐसा गैंग काम कर रहा है, जिसमें कुछ अधिवक्ता और हाईप्रोफाइल लोग भी शामिल है। यह लोग महिलाओं के माध्यम से निर्दोष लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराते हैं और फिर मुकदमा वापस लेने के नाम पर उनसे मोटी रकम की मांग भी करते है। उसके वकील को भी इस बात के लिए धमकाया जाता है कि वह मुकदमे में पैरवी न करें। यदि वकील ऐसा करने से मना कर देते हैं तो उनके खिलाफ भी दुष्कर्म और एससी-एसटी जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है।

अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार पांडे द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष ५० ऐसे मुकदमों की सूची भी प्रस्तुत की गई, जो इस गैंग द्वारा निर्दोष लोगों के खिलाफ रेप केस व अन्य गंभीर अपराधिक मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। इनमें से अकेले 36 मामले मऊआइमा थाने के हैं और बाकी बचे मामले शहर और देहात क्षेत्र के विभिन्न थानों में दर्ज करवाए गए हैं। इनमें ग्राम प्रधान से लेकर अधिवक्ताओं तक को आरोपी बनाया गया है।

फर्जी रेप केस में निर्दोषों को फसाकर कैसे यह गैंग लूटता था सरकारी धन

कोर्ट को इस महत्वपूर्ण और गंभीर बात से अवगत भी कराया गया कि रेप और एससी-एसटी केस के तहत दर्ज मुकदमे में चार्जशीट दाखिल होने पर पीड़ित को सरकार की ओर से मोटी रकम दिए जाने का प्रावधान है। फर्जी रेप केस व अन्य गंभीर अपराधिक मुकदमा दर्ज कराकर सरकार से रकम प्राप्त की जाती है और फिर गैंग के सदस्य इस धनराशि को आपस में बांट लेते हैं। इसके अलावा अभियुक्त बनाए गए व्यक्ति पर भी रकम देने के लिए दबाव डाला जाता है।

इस गैंग में कई वकील भी शामिल हैं। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए याची निक्की देवी को भी तलब किया था। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच सी.बी.आई. को करने का निर्देश दिया। वर्तमान में सी.बी.आई. इस मामले की जांच गहराई से कर रही है। इस दौरान निक्की देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सी.बी.आई.जांच के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें इस मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता भूपेंद्र पांडेय भी याचिका का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित थे।

Share it via Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *