
1200 से अधिक मतदाता वाले मतदेय स्थलों का होगा संभाजन — भारत निर्वाचन आयोग का निर्देश

मतदाताओं की सुविधा और सुगमता के लिए जिलाधिकारी ने दिए स्पष्ट निर्देश
दैनिक इंडिया न्यूज़, मऊ।जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण एवं मतदेय स्थलों के संभाजन के संबंध में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक संपन्न हुई।
बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाताओं को बेहतर अनुभव एवं सुगमता प्रदान करने के उद्देश्य से 1200 से अधिक मतदाताओं वाले मतदेय स्थलों का संभाजन मैनुअल ऑन पोलिंग स्टेशंस, 2020 के प्रावधानों के तहत किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा इस प्रक्रिया के लिए तिथियां भी निर्धारित की गई हैं—
29 अक्टूबर से 4 नवंबर 2025 तक: मतदेय स्थलों का भौतिक सत्यापन, पुनर्निधारण एवं नए भवनों का चिन्हांकन।
10 नवंबर 2025: राजनीतिक दलों से सुझाव एवं आपत्तियों हेतु मतदेय स्थलों की आलेख्य सूची का प्रकाशन तथा प्रतिनिधियों को सूची की उपलब्धता।
24 नवंबर 2025: संभाजन प्रस्ताव मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को अनुमोदन हेतु प्रेषित किया जाएगा।
28 नवंबर 2025: सभी शिकायतों एवं सुझावों के निस्तारण के बाद सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।
जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र ने बैठक में कहा कि सभी राजनीतिक दल अपने सुझाव और प्रस्ताव निर्धारित तिथि तक प्रस्तुत करें। उन्होंने समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि नए मतदेय स्थल न्यूनतम 300 मतदाताओं के आधार पर ही बनाए जाएं और अनिवार्य स्थिति को छोड़कर इस मानक का पालन किया जाए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मतदेय स्थलों के नाम अद्यतन राजस्व अभिलेखों के अनुसार रखे जाएं तथा किसी भी मतदाता को अपने मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर से अधिक दूरी तय न करनी पड़े। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि मतदेय स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता और पोलिंग पार्टियों के आवागमन की सुविधा को प्राथमिकता दी जाए।
वर्तमान में जनपद मऊ में कुल 1796 मतदेय स्थल हैं — जिनमें
301 से 1100 मतदाताओं वाले 1307 बूथ,
1101 से 1200 मतदाताओं वाले 262 बूथ,
1201 से 1300 मतदाताओं वाले 146 बूथ,
1301 से 1400 मतदाताओं वाले 74 बूथ,
और 1401 से 1500 मतदाताओं वाले 7 बूथ शामिल हैं।
इस प्रकार, संभाजन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जनपद में मतदेय स्थलों की संख्या में वृद्धि होना निश्चित माना जा रहा है।
