हमारा जीवन हमेशा चलते रहने वाले प्रवाह की तरह है, जहां ढेर सारी खुशियों के बीच दुख भी आते हैं, कभी कभी परिस्थितियां विपरीत प्रभाव डालती हैं, पर क्या हम सब कुछ छोड़ कर बैठ तो नही सकते हैं।
सकारात्मक सोच को जीवन का मूल मंत्र बनाएं, तो यह हमें इस संसार में खुशियां दे सकती है। नकारात्मक सोच सिर्फ दुख ही नहीं देती, बल्कि हमारी हर सोच और आने वाली परिस्थितियों के बीज बोती है। क्यों न हम सकारात्मक सोच रखें। मुश्किल घड़ी में यदि हम सकारात्मक रहें तो वह दुख देने वाली परिस्थिति को भी सुखकर बनाया जा सकता है।
जब हमारा मन सकारात्मक हो जाए तब हमें दिव्यता का अनुभव होगा, क्योंकि सकारात्मकता निर्मलता की निशानी है। मन की निर्मलता में ही परम सुख, परम शांति और परमानंद है। इसलिए जो सकारात्मक रहेगा वही सफलता की ओर आगे बढ़ सकता है। इसलिए इंसान को नकारात्मकता से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है। जीवन में सफलता और सकारात्मक सोच पाने के लिए व्यक्ति को व्यर्थ के तर्क-वितर्क और रगड़े-झगड़े से बचना चाहिए। व्यर्थ की बातों पर बहस करने से आपका तनाव बढ़ता है। इसलिए जीवन में अगर आपको कुछ पाना हो तो आपको इससे बचना होगा।
हमारे जीवन की स्वाभाविकता बनी रहे। उच्चता के शिखर पर पहुंचने के लिए मनुष्य को अपने जीवन को एक सुघढ़ सांचे में ढालना होता है। जो अपने जीवन को सुघड़, सुंदर और सानंद नहीं बना सकता, वह कितना ही प्रतिभावान, धनवान और ज्ञानवान क्यों न हो, महानता के शिखर तक नहीं पहुंच सकता। अगर आपको अपने जीवन में सफल बनना है तो आपको आज से ही अपनी सोच सकारात्मक बनानी होगी। यह सत्य है कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही प्राप्त करते हैं। नकारात्मक सोच हमें निराशा और असफलता की ओर ले जाती है, जबकि सकारात्मक विचार हमें सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। यदि हम ये ठानकर चलें कि आज दिन भर हम जो भी सोचेंगे अच्छा ही सोचेंगे तो निश्चित ही हमारा दिन अच्छा जाएगा। यही प्रयोग हम सप्ताह भर के लिए भी कर सकते हैं। उसके बाद देखिए आपके जीवन में क्या अद्भुत परिवर्तन आता है।
प्रकृति के हर पल में सौंदर्य, माधुर्य और ऐश्वर्य विद्यमान है। परमात्मा और प्रकृति प्रत्येक प्राणी के उद्धार और कल्याण के लिए नित्य तत्पर हैं। इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण की निरंतरता बनी रहे। अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं और दूसरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। प्रकृति को गहराई से देखें, तभी आप सब कुछ बेहतर समझेंगे। जिस दिन को आप जी रहे हैं तो क्यों न उस दिन को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिन जानकर जिया जाए! मनुष्य वह प्राणी है जो अपने विचारों से बना होता है। वह जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। जो व्यक्ति अपनी सोच को सीमित रखता है वह अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाता है। हमेशा आपको अपनी सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए। आप जिस चीज के बारे में सोचेंगे, वही आपको मिलेगी। जब आप किसी चीज के बारे में सोचते ही नहीं हैं तो आप उसे पा ही नहीं सकते। सफलता और हमारे बीच ज्यादा दूरी नहीं है। हमें सफलता तभी मिल सकती है जब हम अपनी नकारात्मक सोच को त्याग कर स्वयं को इसके योग्य समझेंगे। फिर आप देखेंगे कि एक सोच के बदलने मात्र से ही आपके जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन आता है।